Class 10 Hindi Grammar
- रचना के आधार पर वाक्य भेद व रचनांतरण
- वाच्य, वाच्य परिवर्तन
- पद परिचय
- अलंकार (अर्थालंकार - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, मानवीकरण)
- संकेत बिंदुओं के आधार पर समसामयिक एवं व्यावहारिक जीवन से जुड़े विषयों पर अनुच्छेद लेखन (लगभग 120
- शब्दों में)
- औपचारिक पत्र लेखन (लगभग 100 शब्दों में)
- अनौपचारिक पत्र लेखन (लगभग 100 शब्दों में)
- स्व-वृत्त लेखन (लगभग 80 शब्दों में)
- ई-मेल लेखन (लगभग 80 शब्दों में)
- विज्ञापन लेखन (लगभग 40 शब्दों में)
- संदेश लेखन (लगभग 40 शब्दों में)
- अपठित गद्यांश एवं काव्यांश पर चिंतन क्षमता एवं अभियक्ति कौशल परक बहुविकल्पी प्रश्न
रचना के आधार पर वाक्य भेद व रचनांतरण
वाक्य का अर्थ
हम अपने मन के भावों को व्यक्त करने के लिए शब्दों का सहारा लेते हैं। शब्दों का एक व्यवस्थित तथा निश्चित अर्थ का बोध कराने वाला समूह ही वाक्य कहलाता है। अतः शब्दों का व्यवस्थित क्रम एवं सार्थक समूह वाक्य कहलाता है।
उदाहरण (1) प्रधानमन्त्री ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया।
(ii) हमें अपने आस-पास सदैव स्वच्छ रखना चाहिए।
वाक्य रचना वाक्य में अनेक तत्त्व होते हैं पर वाक्य में कर्ता और क्रिया का होना अनिवार्य है। इनके बिना वाक्य रचना कठिन है।
वाक्य के अंग
वाक्य के दो अंग होते हैं
(i) उद्देश्य वाक्य में जिसके सम्बन्ध में बात की जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।
उदाहरण (i) सूरज पूरब में निकलता है।
(ii) चाँद बादलों में छिप गया।
इन वाक्यों में 'सूरज' और 'चाँद' के विषय में कुछ कहा जा रहा है। अतः ये उद्देश्य हैं।
(ii) विधेय वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं।
उदाहरण (i) पक्षी कलरव करते हैं।
(ii) फूल खूबसूरत होते हैं।
इन वाक्यों के रेखांकित अंश विधेय है, क्योकि वे अपने उद्देश्य क्रमशः 'पक्षी' और 'फूल' के बारे में कुछ कह रहे हैं।
वाक्य रचनान्तरण (सरल वाक्य/संयुक्त वाक्य/मिश्र वाक्य)
वाक्य के भेद
वाक्यों का विभाजन दो आधारों पर होता है-अर्थ के आधार पर तथा रचना के आधार पर।
यहाँ हम 'रचना के आधार पर' वाक्यों के विभाजन का अध्ययन करेंगे।
रचना के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं
1. सरल वाक्य
जिन वाक्यों में एक उद्देश्य और एक विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं।
उदाहरण
(i) सैनिक देश की रखवाली करते हैं।
(ii) किसान फसल उगाते हैं।
(iii) पक्षी अंडे देते हैं
(iv) डॉक्टर रोगी को दवाएँ देता है।
2. संयुक्त वाक्य
जिन वाक्यों में एक या दो स्वतन्त्र वाक्य या उपवाक्य समुच्चयबोधक अव्ययों से जुड़े होते हैं, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं।
उदाहरण
(i) मजदूर आया और काम करने लगा।
(ii) आसमान में बादल छाए, परन्तु वर्षा न हुई।
(iii) वह अस्वस्थ थी इसलिए यहाँ नहीं आई।
उपर्युक्त वाक्यों में दो सरल वाक्यों या उपवाक्यों को क्रमशः 'और', 'परन्तु' एवं 'इसलिए' द्वारा जोड़ा गया है। है। अतः ये संयुक्त वाक्य हैं।
3. मिश्र वाक्य
जिन वाक्यों में एक प्रधान उपवाक्य हो तथा दूसरा उपवाक्य उस पर आश्रित हो, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।
उदाहरण
(i) प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देशवासी स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाएँ।
(ii) यह वही छात्र है, जिसने वृद्धा को सड़क पार कराई थी।
(iii) जब मैंने उसे देखा तब वह मुस्कुराने लगी।
उपर्युक्त वाक्यों में एक प्रधान उपवाक्य है तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य उस पर आश्रित है। अतः ये मिश्र वाक्य हैं।
वाक्य परिवर्तन या वाक्य रचनान्तरण
वाक्य के अर्थ में बिना कोई परिवर्तन किए उसे वाक्य के एक प्रकार से दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तन करना 'वाक्य परिवर्तन' या 'वाक्य रचनान्तरण' कहलाता है।
नीचे कुछ वाक्य रचनान्तरण के उदाहरण दिए गए हैं, उनका ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए।
1. सरल वाक्यों का मिश्र वाक्यों में रचनान्तरण
(i) सरल वाक्य रमेश ने स्वयं को निरपराध बताया।
मिश्र वाक्य रमेश ने बताया कि वह निरपराध है।
(ii) सरल वाक्य कम अंक लाने के बावजूद वह
परिश्रमी है।
मिश्र वाक्य यद्यपि वह कम अंक लाया, किन्तु वह परिश्रमी है।
(iii) सरल वाक्य सफल होने के बाद भी उसके अन्दर अहंकार नहीं है।
2. सरल वाक्यों का संयुक्त वाक्यों में रचनान्तरण
(i) सरल वाक्य छुट्टी की घण्टी बजते ही वह चला गया। संयुक्त वाक्य छुट्टी की घण्टी बजी और वह चला गया।
(ii) सरल वाक्य सुबह होते ही सभी विद्यालय जाने लगे। संयुक्त वाक्य सुबह हुई और सभी विद्यालय जाने लगे।
(iii) सरल वाक्य गरीबी के कारण रमेशचन्द की शादी नहीं हुई।
संयुक्त वाक्य रमेशचन्द गरीब था, इस कारण उसकी शादी नहीं हो सकी।
3. मिश्र वाक्यों का सरल वाक्यों में रचनान्तरण
(i ) मिश्र वाक्य उसने कहा कि मैं निरपराध हूँ।
सरल वाक्य उसने स्वयं को निरपराध बताया।
(ii) मिश्र वाक्य जो व्यक्ति व्यायाम करते हैं, उनकी आयु लम्बी होती है।
सरल वाक्य व्यायाम करने से व्यक्ति की आयु लम्बी होती है।
(iii) मिश्र वाक्य दूरदर्शन पर समाचार समाप्त हुआ कि
(i) मिश्र वाक्य उसने कहा कि मैं निरपराध हूँ। सरल वाक्य उसने स्वयं को निरपराध बताया।
(ii) मिश्र वाक्य जो व्यक्ति व्यायाम करते हैं, उनकी आयु लम्बी होती है।
सरल वाक्य व्यायाम करने से व्यक्ति की आयु लम्बी होती है।
(iii) मिश्र वाक्य दूरदर्शन पर समाचार समाप्त हुआ कि बिजली कट गई।
सरल वाक्य दूरदर्शन पर समाचार समाप्त होते ही बिजली कट गई।
4. मिश्र वाक्यों का संयुक्त वाक्यों में रचनान्तरण
(1) मिश्र वाक्य जब राजीव घर गया अनीता रो रही थी। संयुक्त वाक्य राजीव घर गया तो अनीता रो रही थी।
(ii) मिश्र वाक्य यदि आराम करना चाहते हो तो थोड़ी दूर और चलो।
संयुक्त वाक्य आराम करना है इसलिए थोड़ी दूर और चलो।
(iii) मिश्र वाक्य जैसे ही अंशुल ऑफिस पहुँचा, बॉस ने उसे डाँटना शुरू कर दिया।
संयुक्त वाक्य अंशुल ऑफिस पहुँचा और बॉस ने उसे डॉटना शुरू कर दिया।
5. संयुक्त वाक्यों का सरल वाक्यों में रचनान्तरण
(1) संयुक्त वाक्य दूरदर्शन पर समाचार समाप्त हुआ और बिजली कट गई।
सरल वाक्य दूरदर्शन पर समाचार समाप्त होते ही बिजली कट गई।
(ii) संयुक्त वाक्य सूर्योदय हुआ और अँधेरा मिट गया। सरल वाक्य सूर्योदय होते ही अँधेरा मिट गया।
(iii) संयुक्त वाक्य सुग्रीव ने दुःख भरी बातें सुनाई और भगवान राम द्रवित हो उठे।
सरल वाक्य सुग्रीव की दुःख भरी बातें सुनकर भगवान राम द्रवित हो उठे।
6. संयुक्त वाक्यों का मिश्र वाक्यों में रचनान्तरण
(i) संयुक्त वाक्य मजदूर आया और काम करने लगा। मिश्र वाक्य जैसे ही मजदूर आया, वह काम करने लगा।
(ii) संयुक्त वाक्य आसमान में बादल छाए, परन्तु वर्षा न हुई।
मिश्र वाक्य यद्यपि आसमान में बादल छाए, किन्तु वर्षा न हुई।
(iii) संयुक्त वाक्य वह अस्वस्थ थी इसलिए यहाँ नहीं आई। मिश्र वाक्य क्योंकि वह अस्वस्थ थी, इसलिए यहाँ नहीं आई।
वाच्य' शब्द की व्युत्पत्ति एवं अर्थ :-
संस्कृत को 'वच्' धातु में 'ण्यत्' (कर्मणि) प्रत्यय के जुड़ने से 'वाच्य' शब्द की व्युत्पत्ति हुई है-
(वि) वच् (धातु) कर्मणि ण्यत् (प्रत्यय)
वाच्य (कहे जाने योग्य)
'वाच्य' का प्रयोग वैयाकरणों ने अनेक अर्थों में किया है। शाब्दिक रूप में इसका अर्थ होता है-' बोलने का विषय'। संस्कृत व्याकरण में वाच्य का अर्थ क्रिया का रूप लिया गया है। वाच्य शब्द में वाक् छिपा हुआ है और इसका संबंध भी वाणी से हो है। 'वाच्य' का प्रयोग व्याकरण के आचार्यों ने अनेक अर्थों में किया है। वाच्य का शाब्दिक अर्थ होता है- 'बोलने का विषय अर्थात वाक्य बोलते समय वक्ता के मस्तिष्क में कुछ संज्ञा, कार्य, वस्तु आदि रहती हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कर्ता, कार्य, क्रिया को मध्य में रखकर बोला गया वाक्य ही वाच्य होता है।
क्रिया के जिस रूप परिवर्तन से वाक्य के अंतर्गत कर्ता, कर्म, क्रिया तथा क्रिया के लिंग, वचन एवं पुरुष में रूपांतरण की प्रवृत्ति सामने आती है, उसे वाच्य कहते हैं।
'वाच्य' से वाक्य में कर्ता, कर्म अथवा क्रिया में से किसी एक की प्रधानता का पता भी चलता है।
वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष आदि कर्ता, कर्म अथवा भाव के अनुसार होते हैं, यह अवधारणा वाक्य द्वारा स्पष्ट हो जाती है।
वाच्य की परिभाषा
क्रिया का विधान वाच्य कहलाता है। क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाए कि क्रिया द्वारा किए गए विधान
(कही गई बात) का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के भेद
वाक्य में क्रिया कभी 'कर्ता' के अनुसार अपना रूप बदलती है, कभी 'कर्म' के अनुसार और कभी 'भाव' के अनुसार। क्रिया तीन प्रकार से अपना रूप बदलती है, इसलिए वाच्य भी तीन प्रकार के होते हैं:
1. कर्तृवाच्य (Active Voice)
2. कर्मवाच्य (Passive Voice)
3. भाववाच्य (Abstract Voice)
इन तीनों वाच्यों को समझने के लिए कर्ता, कर्म और क्रिया से परिचित होना आवश्यक है। यद्यपि इनका विस्तृत विवरण कारक चिह्नों तथा क्रिया शीर्षक के अंतर्गत पढ़ा जा चुका है तथापि वाच्य की दिशा में आगे बढ़ने से पूर्व यहाँ उसकी पुनरावृत्ति आवश्यक है।
(क) कर्ता- जिस संज्ञा के द्वारा क्रिया संपादित की जाती है, उसे कर्ता कहते हैं। यूँ तो इसके साथ ने अथवा शून्य परसर्ग का प्रयोग होता है, पर कई चार से, को आदि परसर्ग भी इसके साथ प्रयुक्त होते हैं; उदाहरण के लिए-
(i) रमा खेलती है। (शून्य परसर्ग)
(ii) रमा ने खाना बनाया। (ने परसर्ग)
(iii) रमा को दिल्ली जाना है। (को परसर्ग)
(iv) रमा से चला नहीं जाता। (से परसर्ग)
(ख) कर्म जिस संज्ञा पर क्रिया का फल पड़ता है, उसे कर्म कहते हैं। फल पड़ने से अभिप्राय है-क्रियाओं के समूह का प्रभाव किसी संज्ञा पर पड़ना। अब ये 'क्रियाओं का समूह' क्या है? तो वाक्य में जो क्रिया आती है वह वास्तव में अनेक छिपी हुई क्रियाओं का समूह होती है। इसे उदाहरणों की सहायता से स्पष्ट रूप से समझा जा सकेगा-
माँ ने रोटी बनाई (लोई बनाना, बेलना, तवे पर डालना, पलटना, सेंकना)
कर्ता कर्म क्रिया
स्पष्ट है कि बनाने की क्रिया में अनेक क्रियाएँ सम्मिलित हैं और उन सबका सामूहिक प्रभाव रोटी संज्ञा पर पड़ रहा है इसलिए रोटी कर्म है। सभी सकर्मक क्रियाएँ (विचार में) कुछ क्रियाओं का समूह होती हैं।
ध्यान दें-
वाक्य में कर्म की पहचान करते समय अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि शून्य परसर्ग कर्ता के साथ भी लगता है तथा 'को' परसर्ग का प्रयोग कर्ता, संप्रदान और अधिकरण कारक के लिए भी होता है; जैसे-
कर्ता हरीश रोता है। (शून्य परसर्ग)
कर्म कलम खो गई। (शून्य परसर्ग)
'को' परसर्ग का विभिन्न कारकों के साथ प्रयोग-
(1) महेंद्र को सुबह गाड़ी पकड़नी है। (कर्ता कारक)
(ii) माँ बालक को सुलाती है। (कर्म कारक)
(iii) पिता जी ने मोहन को साइकिल दिलाई। (संप्रदान कारक देने का भाव)
(iv) वह शाम को आएगा। (अधिकरण कारक- समय दर्शा रहा है)
(ग) क्रिया - जिस शब्द से कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते हैं। यूँ तो क्रिया के अनेक प्रकार तथा भेद-प्रभेद हैं, परंतु वाच्य की दृष्टि से यहाँ केवल दो भेद सकर्मक और अकर्मक को समझ लेना ही पर्याप्त होगा।
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद
अकर्मक क्रिया-जिस क्रिया को कर्म की अपेक्षा न हो।
सकर्मक क्रिया-जिस क्रिया को कर्म की अपेक्षा हो।
ध्यान दें-
यहाँ अपेक्षा शब्द विचारणीय है। प्रायः इसका अर्थ यह ले लिया जाता है कि यदि वाक्य में क्रिया से पहले कर्म उपस्थित है तो वह सकर्मक क्रिया है और यदि वाक्य में क्रिया से पहले कर्म उपस्थित नहीं है तो वह अकर्मक क्रिया होगी। पर यह गलत धारणा है। वास्तव में जिस क्रिया को कर्म की अपेक्षा यानी आवश्यकता होती है या जिसके पहले कर्म लगाया जा सकता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं फिर चाहे कर्म वाक्य में उपस्थित हो अथवा नहीं; जैसे-
सकर्मक क्रियाएँ
(कर्म अनुपस्थित) कर्म उपस्थित
लता पढ़ती है। लता पुस्तक पढ़ती है। (क्या पढ़ती है?)
बच्चे खेल रहे हैं। बच्चे फुटबॉल खेल रहे हैं। (क्या खेल रहे हैं?)
शोभना बनाएगी। शोभना खाना बनाएगी। (क्या बनाएगी?)
रमा ने ध्यान से देखा। रमा ने चित्र को ध्यान से देखा। (क्या देखा?)
माली सिंचाई करने लगा। माली पौधों को सींचने लगा। (क्या करने लगा ?)
अकर्मक क्रियाएँ (जिनके साथ कर्म लगाया ही नहीं जा सकता)
बच्चा रो रहा है। (क्या रो रहा है?)
घोड़ा तेज दौड़ता है। (क्या दौड़ता है ?)
सुनील सो गया। (क्या सो गया ?)
वह हँसने लगा। (क्या हँसने लगा ?)
पक्षी आकाश में उड़ते हैं। (क्या उड़ते हैं?)
1. कर्तृवाच्य (Active Voice)
क्रिया के जिस रूप से जाना जाता है कि वाक्य का उद्देश्य क्रिया का कर्ता है, उस रूप को कर्तृवाच्य कहते हैं। कर्तृवाच्य क्रिया के उस रूपांतर को कहते हैं, जिससे जाना जाता है कि क्रिया ने कर्ता के अनुसार रूप बदला है।
जैसे- (i) सचिन आता है।
(ii) कुणाल पड़ता है।
क्रियाओं के द्वारा (सचिन और कुणाल) कर्ता के विषय में ही विधान किया गया है और
इन वाक्यों में आता है, पढ़ता है
कर्ता ही वाक्य का उद्देश्य है। क्रिया का बल कर्ता पर ही है, अतः आता है, पढ़ता है कर्तृवाच्य हैं। इन वाक्यों की क्रियाओं पर कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष का प्रभाव पड़ा है। ऐसी क्रियाओं की अपनी अलग सत्ता नहीं होती, ये कर्ता के अधीन होती
हैं अर्थात कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के लिंग, बच्चन और पुरुष के अनुसार होती है। कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
(i) हालदार साहब पान खाते हैं।
(ii) ड्राइवर ने प्जोर से ब्रेक मारे।
(iii) अब तुम जहाज में जा सकते हो।
2. कर्मवाच्य (Passive Voice)
कर्मवाच्य का अर्थ होता है, कर्म के अनुसार क्रिया का रूप बदलना अर्थात क्रिया के रूप का कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होना। क्रिया के उस रूप को कर्मचात्त्य कहते हैं, जिससे जाना जाता है कि वाक्य का उद्देश्य क्रिया का कर्म है। अर्थात जब वाक्य में कर्म की प्रधानता दिखाई गई हो व क्रिया द्वारा कर्म पर बल दिया गया हो; जैसे-
(i) चिट्ठी भेजी गई।
(ii) रोगी की दवा दी गई।
इन वाक्यों में भेजी गई, दी गई क्रियाओं का प्रयोग कर्म के अनुसार हुआ है। चिट्ठी व दवा कर्म हैं। अतः इन वाक्यों में
कर्म होने के कारण ही कर्मवाच्य का प्रयोग हुआ है। इन वाक्यों की क्रियाएँ कर्म के लिंग और बचन के अनुसार हैं। ये क्रियाएँ कर्म के अधीन हैं। कर्म से स्वतंत्र होकर ये अपने रूप को ग्रहण नहीं कर सकतीं; जैसे यदि कहा जाए दवा दी गई अधांत रोगों के अनुसार क्रिया का प्रयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि रोगी अदृश्य है, व्यक्त नहीं है रोगी को संप्रदान कारक है, देने का भाव है, इस कारण कर्ता और कर्म कारक ही क्रिया के रूप को प्रभावित करते हैं, अन्य कारक नहीं।
उपर्युक्त उदाहरणों से एक बात जो सामने आती है वह यह है कि इनमें 'कर्ता' है ही नहीं या यूँ कहिए कि छिपा हुआ है क्योंकि क्रिया किसी न किसी के दूद्वारा ही संपन्न हुई है, परंतु कर्मवाच्य में, जी कर्म हो रहा है बल उस पर होता है, कर्ता वहाँ प्रासंगिक नहीं होता, उसका लोप कर दिया जाता है। अतः 'कर्ता' चाहे छिपा हुआ हो अथवा प्रकट, उससे वाक्य के अर्थ में कोई विशेष अंतर नहीं पड़ताः जैसे-
(1) (पिता जी द्वारा) चिट्ठी भेजी गई।
(ii) (नर्स द्वारा) रोगी को दवा दी गई।
कर्मवाच्य में सदैव सकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है। सकर्मक क्रिया में दो स्थितियाँ संभव हैं, वाक्य में कर्म उपस्थित भी हो सकता है, अनुपस्थित भी। अतः भ्रांति से बचने के लिए यह कहना बेहतर होगा कि कर्मवाच्य में कर्म सदैव उपस्थित होता है। कुछ
उदाहरण देखिए-
(i) (पुलिस द्वारा) चोर पकड़ा गया। (चोर-कर्म)
(ii) (शिकारियों द्वारा) हाथियों को मार दिया गया। । (हाथियों-कर्म)
(iii) (बच्चों द्वारा) खाना खा लिया गया | (खाना-कर्म)
(iv) (तुफान के द्वारा) जहाज डूब गया। (जहाज-कर्म)
3. भाववाच्य (Abstract Voice)
भाववाच्य का अर्थ है- भाव रूप वा मूल रूप। इसमें भाव की ही प्रधानता रहती है, कर्ता अथवा कर्म की नहीं। इसमें क्रिया का बल भाव पर ही होता है। भाववाच्य में क्रिया सदा एकवचन, पुल्लिग और अन्य पुरुष में रहती है। उदाहरण के लिए-
(1) यहाँ कैसे बैठा जाएगा?
(ii) लड़कों से चला नहीं जाता।
(iii) सीता से देखा नहीं जाता।
(v) चलो, चला जाए।
(iv) उनसे गाया नहीं जाता।
(vi) मुझसे खेला नहीं जाता।
जैसे-
(क) कर्तृवाच्य
कर्तृवाच्य में कर्ता के साथ ने विभक्ति लगी होती है अथवा कर्ता के साथ कोई भी विभक्ति नहीं होती:
(1) चीनू ने आयुष को पीटा।
(iii) सीता राम के साथ वन गई।
(ii) लता मंगेशकर ने गीत गाए।
(iv) महिमा नाच रही है।
(ख) कर्मवाच्य
कर्मवाच्य में कर्ता के साथ द्वारा, के द्वारा या से परसर्ग लगे होते हैं तथा क्रिया से पहले कर्म अनिवार्य रूप से
होता है; जैसे-
(i) रमा दद्वारा कविता लिखी गई।
(1) नेताजी दूद्वारा देश के लिए सब कुछ त्याग दिया गया।
(ग) भाववाच्य-
1. कर्ता के साथ मुख्यतः से कारक आता है; जैसे-
(i) मुझसे खाया नहीं जाता।
(ii) माँ से बैठा नहीं जाता।
iii) उनसे बैठा नहीं जाता।
2. कभी-कभी 'द्वारा' या 'के द्वारा' कारक भी प्रयुक्त होते हैं; जैसे-
(i) सरकार दवारा बाँटा गया। (ii) संघ के द्वारा कहा गया। (iii) माँ द्वारा रोया नहीं जा सका।
क्रिया का रूप सदैव एकवचन, पुल्लिंग होता है; जैसे- उपर्युक्त सभी वाक्यों में।
4. क्रिया से पहले कर्म कभी नहीं आता।
तीनों वाच्यों का विस्तृत परिचय हम पा चुके हैं, अतः नीचे दी गई तालिका द्वारा तीनों का तुलनात्मक अध्ययन करना
सरल होगा-
कर्तृवाच्य
(1) रेखा लड्डू बनाती है।
(ii) रमन रोटी बनाता है।
(iii) लड़की चने खा रही है।
(iv) मुखिया लस्सी पी चुका था।
(v) हलवाई मिठाई बनाएगा।
कर्मवाच्य
(1) चोर पकड़ लिया गया।
(ii) किताब फट गई।
(ii) लड़की से घड़ा नहीं उठाया गया।
(iv) संगठन द्वारा जुलूस निकाला गया।
(४) कार्यकर्ताओं द्वारा हड़ताल की गई।
भाववाच्य
(1) मुझसे चला नहीं जाता।
(ii) रमा से बैठा नहीं जाता।
(iii) सीमा से गाया नहीं जाता।
(iv) आओ, छत पर सोया जाए।
(v) चलो, थोड़ा घूम आया जाए।
कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के प्रयोग स्थल
भाववाच्य
व्यवहार में कर्मवाच्य तथा भाववाच्य का प्रयोग कुछ विशेष परिस्थितियों में होता है, अधिक प्रयोग तो कर्तृवाच्य का ही होता है।
कर्मवाच्य के प्रयोग स्थल
कुछ हिंदी विद्वान कर्मवाच्य को आदर की दृष्टि से नहीं देखते और ऐसा मानते हैं कि तबरन बनाए गए कर्मवाच्य के वाक्य प्रयोग में नहीं आते; जैसे पुस्तक राम द्वारा पढ़ी गई अथवा गीत रमा द्वारा गाया गया। ऐसा प्रयोग देखने में नहीं आता। छात्रों को भी संदेह रहता है कि कर्मवाच्य का प्रयोग सहज नहीं होता। परंतु ऐसा है नहीं। आगे कुछ ऐसे स्थलों को स्पष्ट किया गया है, जहाँ कर्मवाच्य का प्रयोग होता है।
(क) वैधानिक, कार्यालयी, कानूनी भाषा में कर्मवाध्य का प्रयोग; जैसे-
(1) तीन माह के लिए अवकाश स्वीकृत किया जाता है।
(ii) अंतिम फैसला कल तक के लिए सुरक्षित रखा जाता है।
(ii) नौकरी के लिए आपका आवेदन स्वीकार किया जाता है।
(ख) सूचना, विज्ञप्ति, आज्ञा आदि में कर्मवाच्य का प्रयोग; जैसे-
(i) यहाँ से चले जाइए।
(ii) आपको सूचित किया जाता है।
(iii) अपराधी को कल तक हवालात में रखा जाए।
(iv) कर्मचारियों को गणतंत्र दिवस पर पुरस्कृत किया जाएगा।
(ग) जहाँ सभा, समाज, सरकार, अधिकारी, प्रमुख व्यक्ति, संगठनकर्ता हों; जैसे-
(i) भूकंप पीड़ितों की मदद संगठनों द्वारा की जा रही है।
(ii) जल संसाधनों पर सरकार दुद्वारा कार्य किया जा रहा है।
(iii) समाज दवारा यह आडंबर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
का चयन किया जाता है।
(iv) कमिश्नर द्वारा यह आज्ञा नहीं दी जा सकती।
(v) क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा क्रिकेट खिलाड़ियों
(घ) जहाँ कर्ता अज्ञात हो या निश्चित न हो, वहाँ कर्मवाच्य का प्रयोग होता है; जैसे-
(3) चोर पकड़ लिया गया।
(iii) जहात डूब गया।
(ii) पेड़ तेजी से काटे जा रहे हैं।
(iv) दीपावली पर नगर की सजावट की गई।
(ङ) जहाँ कार्य स्वयं हो गया हो, वहाँ कर्मवाच्य आता है; जैसे-
(i) घुँघरू टूट गए।
(ii) जबान फिसल गई।
(iii) मकान ताश के पत्तों की तरह कह गए।
(iv) चश्मा खो गया।
(च) अपनी असमर्थता व्यक्त करने के लिए; जैसे-
(1) काक्षा देर तक नहीं ले पाऊँगा।
(ii) हाथ से लिखा नहीं जाता।
(iii) अब और भूख नहीं सही जाती।
(iv) तुम्हारा कैंसर का दर्द देखा नहीं जाता।
(vi) मुझसे सीढ़ियाँ नहीं चढ़ी जातीं।
(v) गरीव का दुख नहीं देखा जाता।
(छ) चेतावनी व सूचना देने के लिए; जैसे-
(i) लाल बत्ती का उल्लंघन करनेवाले को दंड दिया जाएगा।
(ii) शोर करनेवाले को कक्षा से बाहर निकाल दिया जाएगा।
(ii) संविधान न माननेवाले अपराधी माने जाएँगे।
(iv) बिना आज्ञा प्रवेश करनेवाले को दंडित किया जाएगा।
(ज) गर्व, दर्ष, अधिकार को प्रकट करने के लिए कर्मवाच्य का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
(1) अपराधी को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
(ii) हमसे पैदल नहीं चला जाएगा।
(झ) जय कर्ता को प्रकट करने की आवश्यकता न हो या जब कर्ता को प्रकट न करना हो; जैसे-
(3) धन पानी की तरह बहाया जा रहा है।
(ii) हत्यारों के विरुद्ध सबूत मिल गए हैं।
(ii) पत्र भेज दिया गया है।
(iv) यहाँ बात नहीं सुनी जाती।
भाववाच्य के प्रयोग स्थल
(क) भाववाच्य का प्रयोग असमर्थता या विवशता प्रकट करने के लिए, 'नहीं' अथवा 'कैसे' के साथ किया जाता है; जैसे-
(3) मुझसे नहीं चला जाता।
(ii) मुझसे गरमी में नहीं सोया जाता।
(iii) बहुत बदल गए हो, अब तो पहचाने भी नहीं जाते।
(iv) इन मच्ारों के बीच कैसे रहा जाएगा।
(ख) आज्ञा या अनुमति प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव रखने के लिए सुझाव, सलाह प्राप्त करने या देने के लिए; जैसे-
(i) अब चला जाए।
(ii) थोड़ा आराम कर लिया जाए।
(iii) आओ, एक झपकी ले ली जाए।
(iv) पहले खा लिया जाए।
(v) बहुत देर हुई, अब सोया जाए।
(vi) मेरे से पढ़ा नहीं जाता।
वाच्य परिवर्तन
प्रायः ऐसा देखा गया है कि एक भाषा किसी दूसरी भाषा पर अपना प्रभाव छोड़ती है और इसी प्रभाव के कारण यह भाषा दूषित हो जाती है। यही अंग्रेजी भाषा के कारण हिंदी भाषा के साथ हुआ। अंग्रेजी भाषा में एक्टिव व पैसिव वॉइस के कारण वह प्रयोग हिंदी में भी चल पड़ा और हिंदी भाषा में भी अंग्रेजी भाषा के अनुसार वाच्य-परिवर्तन आरंभ हो गया अर्थात कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य या भाववाच्य बनाना तथा कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाना। नीचे तालिका में ऐसे ही चाच्य-परिवर्तन के कुछ उदाहरण दिए गए हैं—
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना
कर्तृवाच्य
1. गौरव ने पुस्तक लिखी।
2. समीर ने लड़के को पीटा।
3. क्या तुमने खाना खा लिया है?
4. विभा फूल चुनती है।
5. वह गिने-चुने फ्रेमों को नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
6. उसने भगत को दुनियादारी से निवृत्त कर दिया था।
7. नवाब साहथ ने जेब से चाकू निकाला और खीरे छीलने शुरू कर दिए।
8. हालदार साहब ने पान खाया।
9. बालगोबिन भगत गंगा स्नान करते थे।
10. किसान ने खेत में धान रोपे।
कर्मवाच्य
- गौरव के द्वारा पुस्तक लिखी गई।
- समीर के द्वारा लड़का पीटा गया।
- क्या तुम्हारे द्वारा खाना खा लिया गया है?
- विभा के द्वारा फूल चुने जाते हैं।
- उसके द्वारा गिने-चुने फ्रेम नेताजी की मूर्ति पर फ़िट कर दिए जाते हैं।
- उसके द्वारा भगत को दुनियादारी से निवृत्त कर दिया गया था।
- नवाब साहब द्वारा जेब से चाकू निकाला गया और खीरे छीलने शुरू कर दिए गए।
- हालदार साहब के द्वारा पान खाया गया।
- बालगोबिन भगत के द्वारा गंगा स्नान किया जाता था।
- किसान के द्वारा खेत में धान रोपे गए।
- मुझसे बैठा नहीं जाता।
- आकाश से पढ़ा नहीं जाता।
- अब चला जाए।
- मुझसे इस गरमी में सोया नहीं जा सकता।
- माला से पढ़ने नहीं जाया जाएगा।
- बालक से दौड़ा नहीं जाता।
- लड़की द्वारा आँगन में सोया जा रहा था।
- पानवाले से सादा पान खाया जा रहा है।
- सारे संसार से निस्तब्धता में सोया जा रहा है।
- इस बार उनसे गले नहीं लगाया जा सकता।
- रजनी सुबह नहीं उठ सकती।
- रोगी बैठ नहीं सकता।
- आओ, जरा टहल लें।
- आओ, अब दौड़ें।
- तुम चुप रहोगे।
- में दौड़ नहीं सका।
- बच्चे चुप नहीं रहते।
- राजू पकड़ेगा।
- तुम खेलते हो।
- मैं पकाऊँगी।