शिक्षा निदेशालय, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार अभ्यास प्रश्न पत्र (मध्यावधि परीक्षा)
सत्रः 2025-26
कक्षा 10
सामाजिक विज्ञान
समय 3 घण्टा
अधिकतम अंकः 80
सामान्य निर्देशः
1. पत्र में कुल 38 प्रश्न है, सभी प्रश्न अनिवार्य है।
2. प्रश्न पत्र चार खंडों में विभाजित है- खंड कः इतिहास, खंड खः भूगोल, खंड गः राजनीतिक विज्ञान और खंड घः अर्थशास्ल।
3. प्रत्येक खंड 20 अंकों का है और इसमें बहुविकल्पीय प्रश्न, अति लघु उत्तरीय प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न और केस आधारित प्रश्न शामिल हैं।
4. अति लघुउत्तरीय प्रश्न प्रत्येक दो अंक के हैं। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 40 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
5. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रत्येक तीन अंक के हैं। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 60 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
6. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रत्येक पांच अंक के हैं। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 120 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
7. केस आधारित प्रश्न में तीन उप प्रश्न हैं और ये प्रत्येक चार अंक के हैं। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
8. मानचित्र आधारित प्रश्नः पांच अंक के हैं, जिसमें दो भाग हैं- खंड कः इतिहास (दो अंक) और खंड खः भूगोल (तीन अंक)।
9. प्रश्न पत्र में समग्र विकल्प नहीं दिया गया है। हालांकि कुछ प्रश्नों में आंतरिक विकल्प प्रदान किए गए हैं। ऐसे प्रश्नों में केवल एक विकल्प का ही उत्तर देना अनिवार्य है।
10. इसके अतिरिक्त यह नोट करें कि दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए ऐसे प्रश्नों के स्थान पर पृथक प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें दृश्य संकेत या मानचित्र आधारित जानकारी होती है। ऐसे प्रश्नः केवल दृष्टिबाधित विद्यार्थियों द्वारा ही हल किए जाने हैं।
खण्ड क इतिहास
उचित विकल्प की सहायता से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
1. जेम्स वॉट ने _______द्वारा बनाए गए भाप के इंजन में सुधार किया।
विकल्प
A. न्यूकोंगेन
B. न्यूवर्कर
C. न्यूसोशल
D. मैथ्यू बूल्टन
सही उत्तर: A. न्यूकोंगेन
जेम्स वॉट ने थॉमस न्यूकॉमन (Newcomen) द्वारा बनाए गए भाप इंजन में सुधार किया था।
2. गलत कथन की पहचान कीजिए।
A. बंकिमचंद्र चटटोपाध्याय ने वन्दे मातरम की रचना की।
B. महात्मा गांधी ने बंपारण में नील किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया।
C. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने हिन्द स्वराज नामक पुस्तक की रचना की।
D. नटेसा शास्त्री ने द फोकलोर्स ऑफ सदर्न इंडिया के नाम से तमिल लोक कथाओं का संकलन प्रकाशित किया।
✅ सही उत्तर: C. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने हिन्द स्वराज नामक पुस्तक की रचना की।
👉 यह पुस्तक महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई थी, न कि नेहरू द्वारा।
3. ज्युलेपी मेत्सिनी के संदर्भ में कथन को पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. मेत्सिनी को लिगुरिया में क्रांति करने के कारण बहिष्कृत किया गया।
2. मेल्सिनी यंग इटली व यंग यूरोप नागक संगठन का निर्माण किया।
3. मेत्सिनी ने मैटरनिख को सामाजिक व्यवस्था का सबसे व्यतरनाक दुश्मन बताया।
विकल्प
A. केवल 1
B. केवल 2
C. केवल 1 व 2
D. 1.2 व 3
व्याख्या:
-
ज्युसेप्पे मेत्सिनी इटली का प्रसिद्ध क्रांतिकारी था।
-
उसने यूरोप में राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र के विचार को फैलाया।
-
उसकी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण उसे इटली से निर्वासित (banished) कर दिया गया था।
-
वह Metternich के निरंकुश शासन का विरोधी था।
👉 इसलिए तीनों कथन सही हैं (D. 1, 2 व 3)
4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मांग को स्वीकार किया 1 गया?
A. कराची अधिवेशन
B. लाहौर अधिवेशन
C. मद्रास अधिवेशन
D. नागपुर अधिवेशन
व्याख्या:
-
1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष थे।
-
इसी अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज्य” (Complete Independence) का प्रस्ताव पारित किया गया।
-
इसके बाद 26 जनवरी 1930 को “पूर्ण स्वराज्य दिवस” मनाया गया — यही तिथि बाद में गणतंत्र दिवस के रूप में चुनी गई।
✅ सारांश:
| क्रमांक | प्रश्न का विषय | सही उत्तर | कारण |
|---|---|---|---|
| 1 | जेम्स वॉट का इंजन सुधार | A. न्यूकोंगेन | वॉट ने न्यूकॉमन के इंजन में सुधार किया |
| 2 | गलत कथन | C. नेहरू ने हिन्द स्वराज लिखी | यह पुस्तक गांधीजी की थी |
| 3 | ज्युसेप्पे मेत्सिनी | D. 1, 2 व 3 | सभी कथन सही हैं |
| 4 | पूर्ण स्वराज्य की मांग | B. लाहौर अधिवेशन | 1929 में नेहरू की अध्यक्षता में पारित |
5. 'बागानों में काम करने वाले लोगो की महात्मा गाँधी के विचार एवं स्वराज को लेकर 2 अपनी अवधारणा थी। कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
-
बागानों में काम करने वाले लोग मुख्यतः असम, बिहार, बंगाल और उड़ीसा के क्षेत्रों में रहते थे।
-
वे चाय, कॉफी और नील के बागानों में काम करते थे और बहुत कठिन परिस्थितियों में जीवन बिताते थे।
-
ब्रिटिश कानूनों के अनुसार वे अपने बागान क्षेत्र से बाहर नहीं जा सकते थे — यानी वे “बंधुआ मजदूरों” की तरह बंधे हुए थे।
गांधीजी के स्वराज की उनकी समझ:
-
गांधीजी के स्वराज (Self-rule) का अर्थ था – जनता की सहभागिता, समानता, न्याय और आत्मनिर्भरता।
-
लेकिन बागान मजदूरों ने स्वराज को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़ा।
-
उनके लिए स्वराज का अर्थ था — घर लौटने की आज़ादी, बंधनों से मुक्ति और बेहतर जीवन की उम्मीद।
-
यानी उन्होंने गांधीजी के विचारों को अपने जीवन की परिस्थितियों के अनुसार समझा।
निष्कर्ष:
इस कथन से यह स्पष्ट होता है कि गांधीजी के विचारों ने देश के हर वर्ग को प्रेरित किया,
परंतु हर वर्ग ने “स्वराज” की अवधारणा को अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के अनुसार समझा और अपनाया।
6. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न जाति, धर्म एवं भाषा के लोगों में किस प्रकार सामूहिक अपनेपन का भाव विकसित हुआ?
उत्तर:
-
स्वतंत्रता संग्राम केवल राजनीतिक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक भी था।
-
इसने भारत के लोगों में “हम एक हैं” की भावना विकसित की।
मुख्य बिंदु:
-
साझा संघर्ष:
-
ब्रिटिश शासन के दमन ने सभी जाति, धर्म, भाषा और वर्ग के लोगों को एक समान रूप से प्रभावित किया।
-
इससे एक साझा शत्रु (औपनिवेशिक सत्ता) के विरुद्ध एकता बनी।
-
-
राष्ट्रवादी प्रतीक और नारे:
-
वन्दे मातरम्, भारत माता, स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है जैसे नारों ने जनभावना को जोड़ा।
-
-
साझे उत्सव और प्रतीक:
-
झंडा, राष्ट्रगान, और स्वतंत्रता दिवस जैसे आयोजनों ने सामूहिक पहचान को मजबूत किया।
-
-
गांधीजी की भूमिका:
-
उन्होंने जात-पात, छुआछूत, धर्मभेद मिटाने पर बल दिया।
-
उनके आंदोलनों (असहयोग, नमक सत्याग्रह) में सभी समुदायों ने भाग लिया।
-
-
सांस्कृतिक पुनर्जागरण:
-
भारत की प्राचीन संस्कृति, साहित्य, और इतिहास पर गर्व की भावना विकसित हुई।
-
निष्कर्ष:
स्वतंत्रता संग्राम ने विविधता में एकता के भारतीय विचार को मूर्त रूप दिया और सभी भारतीयों में राष्ट्र के प्रति सामूहिक अपनेपन की भावना विकसित की।
7.A. क्रांतिकारी फ्रांस उदारवादी प्रजातंत्र का पहला राजनीतिक प्रयोग था। कथन का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
B. जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
7A.
उत्तर:
-
1789 की फ्रांसीसी क्रांति ने “स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व” (Liberty, Equality, Fraternity) के सिद्धांतों पर आधारित शासन की नींव रखी।
-
यह पहली बार था जब राजशाही के विरुद्ध जनता ने लोकतंत्र की मांग की।
उदारवादी प्रजातंत्र के रूप में इसकी विशेषताएँ:
-
जनसत्ता का विचार:
-
शासन राजा का नहीं, जनता का होना चाहिए — यह विचार स्थापित हुआ।
-
-
मानव अधिकारों की घोषणा (1789):
-
इस घोषणा ने व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता और अधिकारों को मान्यता दी।
-
-
कानून के समक्ष समानता:
-
सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू हुआ।
-
-
धर्मनिरपेक्षता:
-
चर्च की शक्ति सीमित की गई और राज्य को धर्म से अलग किया गया।
-
-
राजनीतिक भागीदारी:
-
संविधान सभा, निर्वाचित प्रतिनिधियों और मतदान प्रणाली की शुरुआत हुई।
-
निष्कर्ष:
फ्रांसीसी क्रांति ने विश्व को उदारवादी प्रजातंत्र का व्यावहारिक उदाहरण दिया —
यह वह पहला प्रयोग था जिसने राजशाही के स्थान पर जनता की संप्रभुता को स्थापित किया।
OR
उत्तर:
-
19वीं सदी में जर्मनी कई छोटे राज्यों में बँटा हुआ था।
-
एकीकरण की प्रक्रिया प्रशा (Prussia) के नेतृत्व में ओट्टो वॉन बिस्मार्क (Otto von Bismarck) ने पूरी की।
मुख्य चरण:
-
राजनीतिक नेतृत्व:
-
प्रशा का राजा विलियम प्रथम और प्रधानमंत्री बिस्मार्क ने “रक्त और लौह” (Blood and Iron) नीति अपनाई।
-
-
युद्धों की श्रृंखला:
-
डेनमार्क युद्ध (1864): श्लेसविग और होल्सटीन पर नियंत्रण।
-
ऑस्ट्रिया युद्ध (1866): जर्मन परिसंघ से ऑस्ट्रिया को बाहर किया।
-
फ्रांस-प्रशा युद्ध (1870–71): फ्रांस की हार के बाद दक्षिणी जर्मन राज्यों ने भी प्रशा से जुड़ गए।
-
-
एकीकरण की घोषणा (1871):
-
18 जनवरी 1871 को विलियम प्रथम को जर्मन सम्राट घोषित किया गया।
-
राजधानी बर्लिन बनी।
-
निष्कर्ष:
बिस्मार्क की रणनीति, सैन्य शक्ति और राष्ट्रवाद की भावना के परिणामस्वरूप 1871 में जर्मनी एकीकृत हुआ और एक सशक्त आधुनिक राष्ट्र के रूप में उभरा।
8. अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर उत्पादन के लिए गाँवों की तरफ़ रुख करने लगे थे। इसके कारण शहरों और गाँवों के बीच एक घनिष्ठ संबंध विकसित हुआ। सौदागर रहते तो शहरों में थे लेकिन उनके लिए काम ज्यादातर देहात में चलता था। इंग्लैंड के कपड़ा व्यवसायी स्टेप्लर्स (Staplers) से ऊन खरीदते थे और उसे सूत कातने वालों के पास पहुँचा देते थे। इससे जो धागा मिलता था उसे बुनकरों, फुलर्ज़ (Fullers), और रंगसाज़ों के पास ले जाया जाता था। लंदन में कपड़ों की फिनिशिंग होती थी। इसके बाद निर्यातक व्यापारी कपड़े को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बेच देते थे। इसीलिए लंदन को तो फिनिशिंग सेंटर के रूप में ही जाना जाने लगा था। यह आदि-औद्योगिक व्यवस्था व्यवसायिक आदान-प्रदान के नेटवर्क का हिस्सा थी। इस पर सौदागरों का नियंत्रण था और चीज़ों का उत्पादन कारखानों की बजाय घरों में होता था। उत्पादन के प्रत्येक चरण में प्रत्येक सौदागर 20-25 मज़दूरों से काम करवाता था। इसका मतलब यह था कि कपड़ों के हर सौदागर के पास सैकड़ों मज़दूर काम करते थे।
8.1 शहरों और गाँवों के बीच एक घनिष्ठ संबंध कैसे विकसित हुआ?
सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी में शहरों के सौदागर उत्पादन करवाने के लिए गाँवों की ओर रुख करने लगे।
वे शहरों में रहते थे, पर काम करवाने के लिए उन्होंने गाँवों के कारीगरों, बुनकरों और सूत कातने वालों को जोड़ा।
इस प्रकार उत्पादन की प्रक्रिया शहर और गाँव दोनों के बीच बँट गई, जिससे दोनों के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंध विकसित हो गया।
8.2 किस शहर को फिनिशिंग सेंटर के रूप में जाना जाता था?
लंदन शहर को फिनिशिंग सेंटर के रूप में जाना जाता था,
क्योंकि कपड़े की बुनाई और रंगाई के बाद उसकी अंतिम फिनिशिंग (सजावट, पैकिंग आदि) का काम लंदन में होता था।
8.3 उत्पादन की आदि-औद्योगिक व्यवस्था आधुनिक औद्योगिक व्यवस्था से किस प्रकार भिन्न 2 थी?
उत्तर:
| आदि-औद्योगिक व्यवस्था | आधुनिक औद्योगिक व्यवस्था |
|---|---|
| 1️⃣ उत्पादन कारखानों की बजाय घरों में होता था। | 1️⃣ उत्पादन कारखानों (Factories) में होता है। |
| 2️⃣ मजदूर अपने घरों में सौदागरों के लिए काम करते थे। | 2️⃣ मजदूर एक ही जगह, मालिक की निगरानी में काम करते हैं। |
| 3️⃣ उत्पादन पर सौदागरों का नियंत्रण होता था। | 3️⃣ उत्पादन पर कारखाना मालिकों का नियंत्रण होता है। |
| 4️⃣ काम हाथ के औज़ारों और घरेलू तकनीकों से होता था। | 4️⃣ काम मशीनों और आधुनिक तकनीक से होता है। |
निष्कर्ष:
आदि-औद्योगिक व्यवस्था घरेलू उत्पादन प्रणाली थी, जबकि आधुनिक औद्योगिक व्यवस्था मशीन आधारित कारखाना प्रणाली है।
मानचित्र आधारित प्रश्न
9. भारत के राजनीतिक रेखा मानचित्र पर दो स्थानों को A और B से अंकित किया गया है। इन स्थानों को नीचे दी गई जानकारी की सहायता से पहचानिए और उनके निकट खींची गई रेखाओं पर लिखिए
(i) उस स्थान की पहचान कीजिए जहाँ सितम्बर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का अधिवेशन हुआ था।
(ii) उस स्थान की पहचान कीजिए जहाँ महात्मा गांधी ने सूती कपडा मिल मजदूरों के लिए आंदोलन किया।
नोटः निम्नलिखित प्रश्न केवल दृष्टिबाधित परीक्षार्थियों के लिए प्रश्न संख्या 9 के स्थान पर हैं।
(9.1) उस स्थान का नाम लिखिए जहाँ सितम्बर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का
अधिवेशन हुआ।
(9.2) उस स्थान का नाम लिखिए जहाँ महात्मा गांधी ने सूती कपड़ा मिल मजदूरों के लिए आंदोलन किया।
(i) सितम्बर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन जहाँ हुआ था —
उत्तर: 🟩 नागपुर (महाराष्ट्र)
व्याख्या:
-
सितम्बर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन नागपुर में हुआ था।
-
इसी अधिवेशन में कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) को स्वीकृति दी थी।
-
अध्यक्ष: सी. विजय राघवाचार्युलु
-
यह अधिवेशन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
📍 मानचित्र पर: महाराष्ट्र राज्य के मध्य भाग में नागपुर को चिह्नित करें।
(ii) वह स्थान जहाँ महात्मा गांधी ने सूती कपड़ा मिल मजदूरों के लिए आंदोलन किया —
उत्तर: 🟩 अहमदाबाद (गुजरात)
व्याख्या:
-
1918 में अहमदाबाद में महात्मा गांधी ने सूती कपड़ा मिल मजदूरों के वेतन में बढ़ोतरी के लिए सत्याग्रह किया था।
-
यह गांधीजी का पहला मजदूर आंदोलन था।
-
इस आंदोलन से गांधीजी के नेतृत्व में श्रमिक वर्ग की एकजुटता का प्रारंभ हुआ।
📍 मानचित्र पर: गुजरात राज्य में साबरमती नदी के किनारे स्थित अहमदाबाद को चिह्नित करें।
✅ दृष्टिबाधित परीक्षार्थियों के लिए उत्तर (लिखित रूप में):
(9.1) सितम्बर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन नागपुर में हुआ था।
(9.2) महात्मा गांधी ने सूती कपड़ा मिल मजदूरों के लिए आंदोलन अहमदाबाद में किया था।
खण्ड ख
भूगोल
10. भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम किरा वर्ष लागू हुआ?
A. 1957
B. 1972
C. 1971
D. 1987
सही उत्तर इस प्रकार हैं 👇
10. भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम किस वर्ष लागू हुआ?
✅ उत्तर: B. 1972
➡️ यह अधिनियम 1972 में पारित हुआ था और 1973 में प्रभावी हुआ। इसका उद्देश्य वन्यजीवों और उनके आवासों की रक्षा करना है।
1. इन मृदाओं का निर्माण भारी वर्षा से अत्यधिक निक्षालन (leaching) के
कारण हुआ है।
2. यह मृदा काजू की कृषि के लिए उपयुक्त है।
A. काली मृदा
B. वन मृदा
C. लेटराइट मृदा
D. मरूस्थलीय मुदा
लेटराइट मृदा
➡️ लेटराइट मृदा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है और काजू, चाय, कॉफी जैसी फसलों के लिए उपयुक्त होती है।
12. भैरोदेव डाकव सोंचुरी भारत के किस राज्य में अवस्थित है?
A. राजस्थान
8. मध्यप्र देश
C. हिमाचल प्रदेश
D. पंजाब
उत्तर: A. राजस्थान
➡️ भैरोदेव डाकव अभयारण्य राजस्थान राज्य में स्थित है।
13. गलत गिलान की पहचान कीजिए।
A. जलोढ़ मृदा गन्ने की कृषि
B. काली मृदा कपारा की कृषि
८. लेटराइट मृदा काजू की कृषि
D. लाल मृदा सेब की कृषि
सही उत्तर है 👇
✅ D. लाल मृदा – सेब की कृषि
व्याख्या:
- लाल मृदा उष्ण एवं शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है और यह सेब की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती।
- सेब की खेती शीतोष्ण जलवायु और पर्वतीय मिट्टी (पर्वतीय/वन मृदा) में होती है, जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर आदि में।
अन्य विकल्प सही हैं:
- जलोढ़ मृदा → गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त 🌾
- काली मृदा → कपास (Cotton) की खेती के लिए उपयुक्त 👕
- लेटराइट मृदा → काजू की खेती के लिए उपयुक्त 🌰
14. क्या संसाधनों का अति उपयोग किए बिना भी विकास संभव है? उदाहरण सहित
समझाइए।
हाँ ✅, संसाधनों का अति उपयोग किए बिना भी विकास संभव है।
इसे सतत विकास (Sustainable Development) कहा जाता है।
🌿 व्याख्या:
सतत विकास का अर्थ है —
“ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति करे,
लेकिन भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं से समझौता न करे।”
इसका मतलब है कि प्राकृतिक संसाधनों (जैसे जल, वन, भूमि, खनिज, ऊर्जा आदि) का उपयोग सोच-समझकर किया जाए ताकि वे भविष्य के लिए भी उपलब्ध रहें।
🌱 उदाहरण:
-
सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग –
इससे बिजली पैदा होती है लेकिन कोयला या पेट्रोलियम जैसे संसाधन नष्ट नहीं होते। -
वृक्षारोपण (Tree Plantation) –
जंगल काटने की बजाय नए पेड़ लगाना पर्यावरण को संतुलित रखता है। -
जल संरक्षण (Water Harvesting) –
वर्षा जल को सहेजना भूमिगत जल स्तर को बनाए रखता है
15. वनों के संरक्षण में समुदायों की भूमिका पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
🌿 वनों के संरक्षण में समुदायों की भूमिका (Role of Communities in Forest Conservation)
वनों के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे प्रत्यक्ष रूप से जंगलों के संसाधनों पर निर्भर रहते हैं।
🏞️ मुख्य बिंदु:
-
स्थानीय भागीदारी (Local Participation):
गाँव के लोग स्वयं वनों की रक्षा करते हैं, अवैध कटाई और चराई को रोकते हैं। -
संयुक्त वन प्रबंधन (Joint Forest Management - JFM):
सरकार और स्थानीय लोगों के सहयोग से जंगलों की देखरेख की जाती है।
जैसे — पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सफल उदाहरण देखे गए हैं। -
पारंपरिक ज्ञान (Traditional Knowledge):
आदिवासी और ग्रामीण लोग पौधों, औषधियों और मिट्टी के संरक्षण के पारंपरिक तरीके जानते हैं। -
जागरूकता और शिक्षा:
समुदाय लोगों में वृक्षारोपण, वन अग्नि नियंत्रण, और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाते हैं।
🌱 उदाहरण:
- चिपको आंदोलन (उत्तराखंड): महिलाओं ने पेड़ों को बचाने के लिए उन्हें गले लगाया।
- अप्पिको आंदोलन (कर्नाटक): लोगों ने जंगलों को कटने से रोका और वृक्षारोपण किया।
✳️ निष्कर्ष:
समुदायों की सक्रिय भागीदारी से ही वनों का स्थायी संरक्षण संभव है।
जब लोग जंगलों को अपनी संपत्ति समझकर उनकी रक्षा करते हैं, तो प्रकृति और मानव दोनों सुरक्षित रहते हैं। 🌳
16 भारत में जल संरक्षण की किन्हीं तीन पारंपरिक विधियों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
जल की मात्रा को न तो घटाया जा सकता है और न ही बढ़ाया जा सकता है।
कथन की व्याख्या कीजिए।
(क) भारत में जल संरक्षण की तीन पारंपरिक विधियाँ
भारत में प्राचीन काल से ही लोगों ने स्थानीय परिस्थिति और जलवायु के अनुसार जल संरक्षण की अनेक पारंपरिक विधियाँ विकसित कीं।
मुख्य तीन विधियाँ इस प्रकार हैं —
1. बावड़ी या कुंड (Stepwell / Kund):
- यह सीढ़ीनुमा कुएँ होते हैं जिनमें वर्षा जल एकत्र किया जाता है।
- राजस्थान और गुजरात में प्रसिद्ध हैं।
- इनसे गर्मियों में भी पीने का पानी उपलब्ध रहता है।
2. जोहर या तालाब:
- हर गाँव में वर्षा जल संग्रह के लिए जोहर, तालाब या पोखर बनाए जाते थे।
- यह भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में प्रचलित हैं।
3. खadin और तांका प्रणाली:
- खadin (राजस्थान) में खेत के किनारे दीवार बनाकर वर्षा जल रोका जाता है ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे।
- तांका भूमिगत टंकी होती है जिसमें वर्षा का पानी घरों की छतों से एकत्र किया जाता है।
➡️ इन पारंपरिक विधियों से ग्रामीण क्षेत्रों में जल की कमी को दूर किया जाता था और आज भी कई जगह इनका उपयोग होता है।
💧 (ख) “जल की मात्रा को न तो घटाया जा सकता है और न ही बढ़ाया जा सकता है” — व्याख्या
- पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा स्थिर (Constant) है।
- जल केवल रूप बदलता है — जैसे वाष्प, बादल, वर्षा, नदी, हिम आदि के रूप में।
- यह जल चक्र (Water Cycle) के माध्यम से एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होता रहता है।
- इसलिए हम जल को ना तो समाप्त कर सकते हैं, ना ही नया बना सकते हैं,
लेकिन हम उसका संचयन और संरक्षण अवश्य कर सकते हैं।
✳️ निष्कर्ष:
चाहे पारंपरिक विधियों से हो या आधुनिक तकनीक से,
जल संरक्षण आवश्यक है क्योंकि जल जीवन का आधार है।
17. भारत के संदर्भ में संसाधन नियोजन की आवश्यकताओं का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मृदाओं की पर एक संक्षिप्त नोट
लिखिए।
(क) भारत के संदर्भ में संसाधन नियोजन की आवश्यकताओं का मूल्यांकन
🌿 अर्थ:
संसाधन नियोजन का अर्थ है —
“प्राकृतिक संसाधनों का उचित, संतुलित और योजनाबद्ध उपयोग ताकि वर्तमान तथा भविष्य की आवश्यकताएँ पूरी हो सकें।”
भारत में इसकी आवश्यकता क्यों है?
-
संसाधनों का असमान वितरण:
- भारत के कुछ भाग (जैसे झारखंड, छत्तीसगढ़) में खनिज अधिक हैं,
जबकि अन्य भाग (जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश) में कमी है। - इसलिए संतुलित विकास के लिए संसाधन नियोजन आवश्यक है।
- भारत के कुछ भाग (जैसे झारखंड, छत्तीसगढ़) में खनिज अधिक हैं,
-
अत्यधिक दोहन (Over-Exploitation):
- मनुष्य द्वारा अंधाधुंध दोहन से जल, मिट्टी और वन संसाधन नष्ट हो रहे हैं।
- योजनाबद्ध उपयोग से इनका संरक्षण किया जा सकता है।
-
जनसंख्या वृद्धि और औद्योगीकरण:
- बढ़ती जनसंख्या और उद्योगों की मांग को पूरा करने के लिए
संसाधनों का दीर्घकालिक प्रबंधन जरूरी है।
- बढ़ती जनसंख्या और उद्योगों की मांग को पूरा करने के लिए
-
पर्यावरणीय संतुलन:
- संसाधनों के अति-उपयोग से पर्यावरण असंतुलन उत्पन्न होता है।
- नियोजन से सतत विकास सुनिश्चित होता है।
✳️ निष्कर्ष:
भारत में संसाधनों का नियोजन न केवल आर्थिक विकास के लिए,
बल्कि पर्यावरण संरक्षण और भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। 🌱
🌾 (ख) भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मृदाएँ (Soils in India)
भारत में भौगोलिक विविधता के कारण अनेक प्रकार की मृदाएँ पाई जाती हैं —
| क्रमांक | मृदा का नाम | मुख्य क्षेत्र | प्रमुख फसलें | विशेषताएँ |
|---|---|---|---|---|
| 1️⃣ | जलोढ़ मृदा (Alluvial Soil) | गंगा, ब्रह्मपुत्र और तटीय मैदान | धान, गेहूँ, गन्ना | उपजाऊ, नदियों द्वारा जमा की गई |
| 2️⃣ | काली मृदा (Black Soil) | महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात | कपास, सोयाबीन | जल धारण क्षमता अधिक, चूना युक्त |
| 3️⃣ | लाल मृदा (Red Soil) | तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा | बाजरा, मूंगफली | लौह ऑक्साइड के कारण लाल रंग |
| 4️⃣ | लेटराइट मृदा (Laterite Soil) | पश्चिमी घाट, केरल, असम | काजू, चाय, कॉफी | अम्लीय और पोषक तत्वों की कमी |
| 5️⃣ | मरुस्थलीय मृदा (Desert Soil) | राजस्थान, हरियाणा | ज्वार, बाजरा | क्षारीय, नमी की कमी |
| 6️⃣ | **वन एवं पर्वतीय |
मानचित्र आधारित प्रश्न 3 अंक
18 भारत के इसी राजनीतिक रेखा-मानचित्र में, निम्नलिखित में से किन्हीं तीन को उपयुक्त चिन्हों से अंकित कीजिए और उनके नाम लिखिएः
1. सलाल बाँध
11 टिहरी बाँध
III. हीराकुड बाँध
IV. नागार्जुन सागर बौध
नोटः निम्नलिखित प्रश्न केवल दृष्टिबाधित परीक्षार्थियों के लिए प्रश्न संख्या 9 के स्थान पर हैं। किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(18.1) उस राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश का नाम लिखिए जहाँ सलाल बौध स्थित है।
(18.2) उस राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश का नाम लिखिए जहाँ टिहरी बाँध स्थित है।
(18.3) उस राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश का नाम लिखिए जहाँ हीराकुड बाँध स्थित है।।
(18.4) उस राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश का नाम लिखिए जहाँ नागार्जुन सागर बाँध
स्थित है
(18.1) सलाल बाँध (Salal Dam)
📍 राज्य / केन्द्रशासित प्रदेश: जम्मू और कश्मीर
➡️ यह बाँध चेनाब नदी पर स्थित है।
(18.2) टिहरी बाँध (Tehri Dam)
📍 राज्य: उत्तराखंड
➡️ यह बाँध भागीरथी नदी पर बना है।
➡️ यह भारत का सबसे ऊँचा बाँध है।
(18.3) हीराकुड बाँध (Hirakud Dam)
📍 राज्य: ओडिशा (Odisha)
➡️ यह बाँध महानदी नदी पर स्थित है।
➡️ यह एशिया के सबसे लंबे बाँधों में से एक है।
(18.4) नागार्जुन सागर बाँध (Nagarjuna Sagar Dam)
📍 राज्य: तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सीमा पर
➡️ यह बाँध कृष्णा नदी पर बनाया गया है।
खण्ड ग राजनीति - विज्ञान
19. 1956 के कानून के द्वारा श्रीलंका में किस धर्म को संरक्षण प्रदान किया गया?
A. जैन धर्म
B. इस्लाम धर्म
C. ईसाई धर्म
D. बौद्ध धर्म
सही उत्तर: D. बौद्ध धर्म
🕉️ व्याख्या:
- 1956 के संविधान (या कानून) के द्वारा श्रीलंका में बौद्ध धर्म को विशेष संरक्षण (special protection) प्रदान किया गया।
- इस कानून के अनुसार,
"राज्य का कर्तव्य होगा कि वह बौद्ध धर्म को विशेष स्थान दे और उसका संरक्षण व प्रोत्साहन करे।"
📍 अतिरिक्त जानकारी:
- श्रीलंका की जनसंख्या का अधिकांश भाग (लगभग 70%) सिंहली बौद्ध है।
- इसलिए बौद्ध धर्म को वहाँ राज्य द्वारा विशेष दर्जा प्राप्त है।
20 नीचे दिए गए प्रश्न में, दो प्राक्कथन दिए गए हैं एक अभिकथन (A) और दूसरा कारण (R)। कथनों को पढ़िए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
अभिकथन (A): भारत में महिलाओं में साक्षरता की दर पुरुषों की अपेक्षा अभी भी कम है।
कारण (R): भारतीय समाज अभी भी पितृ-प्रधान है।
विकल्प :
A. अभिकथन (A) एवं कारण (R) दोनों सही हैं एवं कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।
B. अभिकथन (A) एवं कारण (R) दोनों सही हैं परन्तु कारण, अभिकथन की सही व्याख्या नहीं है।
C. अभिकथन (A) सही है एवं कारण (R) गलत है।
D. अभिकथन (A) गलत है परंतु कारण (R) सही है।
✅ सही उत्तर: A. अभिकथन (A) एवं कारण (R) दोनों सही हैं एवं कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।
📚 व्याख्या:
-
अभिकथन (A): “भारत में महिलाओं में साक्षरता की दर पुरुषों की अपेक्षा अभी भी कम है” — ✔️ सही है।
भारत में जनगणना के आँकड़ों के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों से कम पाई गई है। -
कारण (R): “भारतीय समाज अभी भी पितृ-प्रधान है” — ✔️ यह भी सही है।
पितृसत्तात्मक (Patriarchal) समाज में पुरुषों को अधिक महत्व दिया जाता है, और महिलाओं को शिक्षा व अवसरों में पीछे रखा जाता है।
👉 इसलिए पितृप्रधान समाज ही महिलाओं की कम साक्षरता दर का मुख्य कारण है।
🔹 निष्कर्ष:
अतः दोनों कथन सही हैं और (R) अभिकथन (A) की सही व्याख्या करता है। ✅
21. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित में से किस भाषा को शामिल
नहीं किया गया है?
A. तमिल
B. हिन्दी
C. जर्मन
D. पंजाबी
✅ उत्तर: C. जर्मन
व्याख्या:
- भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं, जैसे — हिंदी, तमिल, पंजाबी, तेलुगु, बंगाली आदि।
- जर्मन भाषा विदेशी भाषा है, और इसे इस अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है।
प्रश्न 22:
सही मिलान करके उचित विकल्प का चयन कीजिए:
| स्तंभ क | स्तंभ ख |
|---|---|
| a. संघ सूची | II. संचार |
| b. राज्य सूची | III. सिंचाई |
| c. समवर्ती सूची | I. गोद लेना |
A. a-I, b-11, c-III
B. a-II, b-1, c-III
C. a-III, b-1, c-II
D. a-II, b-III, с-1
✅ सही उत्तर: B. a-II, b-III, c-I
📘 व्याख्या:
- संघ सूची (Union List): ऐसे विषय जो केवल केंद्र सरकार के अधीन हैं → जैसे संचार, रक्षा, मुद्रा
- राज्य सूची (State List): राज्य सरकार के अधीन विषय → जैसे सिंचाई, पुलिस, कृषि
- समवर्ती सूची (Concurrent List): केंद्र और राज्य दोनों द्वारा बनाए जा सकने वाले
23. नीचे दो कथन्, कथन। और कथन ॥ के रूप में दिए गए हैं। दोनों कधनों को पढ़िए और सही विकल्प 1
का चयन कीजिए।
कथन ।: श्रीलंका 1947 में आजाद हुआ।
कथन ॥: श्रीलंका में गृहयुद्ध हुआ।
विकल्प
A. कथन। और कथन ।। दोनों सही है।
B. कथन। सही और कथन ॥ गलत है।
८ कथन। गलत और कथन ॥ सही है।
D. कथन। और कथन ॥ दोनों गलत है।
✅ सही उत्तर: C. कथन। गलत और कथन ॥ सही है।
📚 व्याख्या:
-
कथन। “श्रीलंका 1947 में आजाद हुआ” — ❌ गलत
- वास्तविकता: श्रीलंका (पूर्व में सीलोन) 1948 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ।
-
कथन ॥ “श्रीलंका में गृहयुद्ध हुआ” — ✔️ सही
- श्रीलंका में 1983 से 2009 तक तमिल और सिंहली समुदायों के बीच गृहयुद्ध हुआ।
✅ निष्कर्ष:
कथन। गलत है और कथन ॥ सही है।
24. यूरोपीय यूनियन का मुख्यालय कहाँ अवस्थित है?
A. श्रीलंका
B. भारत
C जापान
D. ब्रसेल्स
✅ सही उत्तर: D. ब्रसेल्स
📚 व्याख्या:
- यूरोपीय यूनियन (European Union) का मुख्यालय ब्रसेल्स, बेल्जियम में स्थित है।
- यह यूरोप के देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक सहयोग का मुख्य केंद्र है।
- ब्रसेल्स में ही यूरोपीय आयोग, यूरोपीय परिषद और यूरोपीय संसद के कुछ कार्यालय हैं।
🌍 नोट:
शेष विकल्प (भारत, जापान, श्रीलंका) से इसका कोई संबंध नहीं है।
25. A. सत्ता के क्षैतिज वितरण पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
अथवा
B. सत्ता के उर्ध्वाधर वितरण पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
(A) सत्ता के क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Power)
📌 अर्थ:
- सत्ता का क्षैतिज वितरण का मतलब है राज्य की शक्ति को अलग-अलग संस्थाओं में बाँटना।
- इसका उद्देश्य शक्ति का दुरुपयोग रोकना और संतुलन बनाए रखना है।
🏛️ मुख्य संस्थाएँ:
- विधायी शाखा (Legislature): कानून बनाने का अधिकार।
- कार्यकारी शाखा (Executive): कानून लागू करने और प्रशासन का कार्य।
- न्यायिक शाखा (Judiciary): कानूनों की व्याख्या और न्याय सुनिश्चित करना।
🔹 उदाहरण:
- भारत में संविधान के अनुच्छेद 50 के अनुसार न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र है।
- यह वितरण लोकतंत्र में शक्ति संतुलन सुनिश्चित करता है।
(B) सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण (Vertical Distribution of Power)
📌 अर्थ:
- सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण का मतलब है सत्ताओं को विभिन्न स्तरों (केंद्र और राज्य) में बाँटना।
- इसे संसदीय संघीय प्रणाली (Federal System) भी कहा जाता है।
🏛️ मुख्य स्तर:
- केंद्र सरकार (Central / Union Government) – राष्ट्रीय विषयों पर निर्णय।
- राज्य सरकार (State Government) – राज्य के विषयों पर निर्णय।
- स्थानीय निकाय (Local Bodies / Panchayats & Municipalities) – स्थानीय प्रशासन।
🔹 उदाहरण:
- भारत में संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत:
- संघ सूची → केंद्र सरकार
- राज्य सूची → राज्य सरकार
- समवर्ती सूची → दोनों
💡 निष्कर्ष:
- क्षैतिज वितरण → सत्ता विभिन्न अंगों में विभाजित
- ऊर्ध्वाधर वितरण → सत्ता विभिन्न स्तरों में विभाजित
दोनों का उद्देश्य **शक्ति का संतुलन और लोकतंत्र को
26. धर्म एवं राजनीति के आपसी संबंधों पर महात्मा गांधी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
✨ धर्म एवं राजनीति के आपसी संबंधों पर महात्मा गांधी के विचार
महात्मा गांधी का मानना था कि धर्म और राजनीति अलग नहीं हैं, बल्कि दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उनके विचार इस प्रकार स्पष्ट किए जा सकते हैं:
1. राजनीति धर्म से अलग नहीं
- गांधी जी के अनुसार, राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं होना चाहिए।
- राजनीति का मूल उद्देश्य मानव कल्याण और न्याय सुनिश्चित करना है।
- इसलिए राजनीति में नैतिकता और धर्म का पालन आवश्यक है।
2. सत्य और अहिंसा राजनीति के मूल तत्व
- गांधी जी ने कहा कि राजनीति में सत्य (Satya) और अहिंसा (Ahimsa) के सिद्धांतों का पालन होना चाहिए।
- राजनीति को केवल सत्तालिप्सा और शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि लोक-हित और धर्म के अनुसार कार्य करने के लिए होना चाहिए।
3. धार्मिक दृष्टि से राजनीति का नैतिक आधार
- गांधी जी के अनुसार, यदि राजनीति धर्म से प्रेरित हो, तो यह अधिकार का दुरुपयोग नहीं करती।
- नेता को अपने कर्तव्यों में सत्यनिष्ठ और नैतिक होना चाहिए।
4. अवधारणाएँ और उदाहरण
- स्वराज (Self-rule) की उनकी अवधारणा केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं थी, बल्कि यह नैतिक और आध्यात्मिक स्वतंत्रता भी थी।
- उनके संघर्षों में, जैसे असहयोग आंदोलन, उन्होंने अहिंसक और धर्मसंगत राजनीति का उदाहरण पेश किया।
✅ निष्कर्ष:
गांधी जी का विचार था कि धर्म और राजनीति अलग नहीं हैं, बल्कि धर्म के आधार पर ही राजनीति सच्ची, न्यायपूर्ण और मानव कल्याणकारी हो सकती है।
राजनीति में सत्य, अहिंसा और नैतिकता का पालन होना अनिवार्य है।
27. A. भारत की भाषा नीति का मूल्याकन कीजिए।
भारत की भाषा नीति का मूल्यांकन (Evaluation of Language Policy of India)
भारत एक बहुभाषी देश है, जहाँ विभिन्न राज्य और समुदाय अपनी भाषा में संचार करते हैं। इसलिए भारत की भाषा नीति को संतुलन और समावेश के दृष्टिकोण से बनाया गया।
1. मुख्य विशेषताएँ (Key Features):
- आधिकारिक भाषा:
- हिंदी (देवनागरी लिपि में) और अंग्रेज़ी को केंद्र सरकार की आधिकारिक कार्य भाषा के रूप में अपनाया गया।
- राज्यों की भाषा:
- प्रत्येक राज्य अपनी क्षेत्रीय भाषा को आधिकारिक भाषा बना सकता है।
- उदाहरण: तमिलनाडु → तमिल, महाराष्ट्र → मराठी।
- आठवीं अनुसूची:
- भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल की गई हैं, जिन्हें संविधानिक मान्यता मिली है।
2. नीति के उद्देश्य (Objectives):
- राष्ट्रीय एकता बनाए रखना।
- क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण करना।
- शिक्षा, प्रशासन और सांस्कृतिक विकास में बहुभाषीयता को बढ़ावा देना।
3. सकारात्मक पहलू (Positive Aspects):
- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संतुलन: केंद्र और राज्यों दोनों की भाषाओं को महत्व दिया गया।
- संस्कृति का संरक्षण: क्षेत्रीय भाषाओं और साहित्य को बढ़ावा मिला।
- बहुभाषीय प्रशासन: सरकारी कामकाज में अधिक लोगों की भागीदारी संभव हुई।
4. चुनौतियाँ और सीमाएँ (Challenges):
- हिंदी बनाम अंग्रेज़ी विवाद: कुछ राज्यों में हिंदी को थोपने का विरोध हुआ (जैसे तमिलनाडु)।
- समान अवसर: भाषाई भेदभाव के कारण रोजगार और शिक्षा में असमानता।
- स्थानीय भाषाओं का संकट: आधुनिक शिक्षा और तकनी
अथवा
B. सत्ता के विक्रेन्दीकरण की आवश्यकता क्यों होती है? स्थानीय स्वशासन की आवश्यकताओं पर चर्चा कीजिए।
सत्ता के विकेन्द्रीकरण और स्थानीय स्वशासन
1️⃣ सत्ता के विकेन्द्रीकरण (Decentralization of Power) की आवश्यकता
अर्थ:
सत्ता का विकेन्द्रीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें केंद्र या राज्य सरकार की शक्ति को निचले स्तरों (स्थानीय निकाय) तक हस्तांतरित किया जाता है।
आवश्यकता:
-
जनभागीदारी बढ़ाना:
- लोगों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल करके लोकतंत्र को मजबूत बनाना।
-
निष्पादन में तेजी और कुशलता:
- स्थानीय समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर तुरंत किया जा सकता है।
-
समान वितरण और न्याय:
- संसाधनों का उचित और समान वितरण सुनिश्चित करना।
-
स्थानीय जरूरतों के अनुरूप नीति निर्माण:
- हर क्षेत्र की समस्याएँ अलग होती हैं, और नीतियाँ उसी अनुसार बनाई जा सकती हैं।
-
केंद्र और राज्य पर भार कम करना:
- स्थानीय निकायों को जिम्मेदारी देने से बड़े स्तर की समस्याओं का दबाव कम होता है।
2️⃣ स्थानीय स्वशासन (Local Self-Government) की आवश्यकताएँ
अर्थ:
स्थानीय स्वशासन का मतलब है स्थानीय निकायों (पंचायत, नगर निगम) के माध्यम से स्थानीय जनता द्वारा अपने क्षेत्र का प्रशासन करना।
मुख्य आवश्यकताएँ:
-
स्थानीय विकास को बढ़ावा देना:
- गाँव और शहरों की विकास योजनाओं में जनता की सक्रिय भागीदारी।
-
स्थानीय समस्याओं का त्वरित समाधान:
- जल आपूर्ति, सड़क निर्माण, स्वच्छता, स्वास्थ्य जैसी समस्याएँ तुरंत हल हो सकती हैं।
-
जनसहभागिता और जिम्मेदारी:
- लोग अपने क्षेत्र के निर्णयों में भाग लेकर उत्तरदायी बनते हैं।
-
संसाधनों का उचित उपयोग:
- स्थानीय निकाय स्थानीय संसाधनों (पानी, भूमि, बजट) का समान और प्रभावी प्रबंधन कर सकते हैं।
-
लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करना:
- स्थानीय स्वशासन से नीति निर्माण और कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही आती है।
✅ निष्कर्ष:
सत्ता का विकेन्द्रीकरण और स्थानीय स्वशासन लोकतंत्र को सशक्त, उत्तरदायी और न्यायसंगत बनाते हैं।
यह लोगों की भागीदारी बढ़ाता है और विकास को स्थानीय जरूरतों के अनुसार सुनिश्चित करता है।
28. अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
'जब हम स्कूली परीक्षाओं के परिणाम पर गौर करते हैं तो देखते हैं कि कई जगह लड़कियों ने बाजी मार ली है और कई जगहों पर उनका प्रदर्शन लड़कों से बेहतर नहीं तो कमतर भी नहीं है। लेकिन आगे की पढ़ाई के दरवाजे उनके लिए बंद हो जाते हैं क्योंकि माँ बाप अपने संसाधनों को लड़के-लड़की दोनों पर बराबर खर्च करने की जगह लड़कों पर ज्यादा खर्च करना पसंद करते हैं। इस स्थिति के चलते अब भी ऊँची तनख्वाह वाले और ऊँचे पदों पर पहुँचने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है। भारत में औसतन एक स्त्री एक पुरुष की तुलना में रोज़ाना एक घंटा ज्यादा काम करती है पर उसको ज़्यादातर काम के लिए पैसे नहीं मिलते इसलिए अक्सर उसके काम को मूल्यवान नहीं माना जाता। 1976 के समान मजदूरी से सम्बंधित अधिनियम में कहा गया है कि समान काम के लिए समान मजदूरी दी जाएगी। बहरहाल, काम के हर क्षेत्र में यानी खेल-कूद की दुनिया से लेकर सिनेमा के संसार तक और कल-कारखानों से लेकर खेत-खलिहान तक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मज़दूरी मिलती है, भले ही दोनों ने समान काम किया हो। भारत के अनेक हिस्सों में माँ-बाप को सिर्फ लड़के की चाह होती है। लड़की को जन्म लेने से पहले ही खत्म कर देने के तरीके इसी मानसिकता से पनपते हैं। इससे देश का बाल शिशु अनुपात (प्रति हज़ार लड़कों पर लड़कियों की संख्या। गिरकर 919 रह गया है।
28.1 1976 के समान मजदूरी से सम्बंधित अधिनियम का मुख्य प्रावधान क्या है?
अनुच्छेद के आधार पर प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं 👇
- मुख्य प्रावधान:
समान काम करने वाली महिलाओं और पुरुषों को समान मजदूरी (Equal Pay for Equal Work) दी जाएगी।
- इसका उद्देश्य था लिंग आधारित वेतन भेदभाव को समाप्त करना।
28.2 भारत में ऊँची तनख्वाह वाले और ऊँचे पदों पर पहुँचने वाली महिलाओं की संख्या कम क्यों है?
- कारण:
- परिवार और माता-पिता अक्सर संसाधनों का प्राथमिक उपयोग लड़कों पर करते हैं, लड़कियों की शिक्षा और आगे की पढ़ाई में कम निवेश होता है।
- समान काम के बावजूद महिलाओं को कम मजदूरी मिलती है।
- सामाजिक और सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों के कारण महिलाएं ऊँचे पदों और करियर में सीमित अवसर पाती हैं।
28.3 भारत में घटते बाल शिशु अनुपात के प्रमुख कारण का विश्लेषण कीजिये।
- प्रमुख कारण:
- लड़के की चाहत — परिवार अक्सर बेटे की चाह रखते हैं।
- लड़की भ्रूण हत्या (Female Foeticide) — लड़की जन्म लेने से पहले ही खत्म कर दिए जाने के तरीके अपनाए जाते हैं।
- सामाजिक मानसिकता — लड़की के जन्म और शिक्षा पर कम ध्यान, जिसके कारण बाल शिशु अनुपात गिर रहा है।
✅ संक्षिप्त रूप में निष्कर्ष:
- समान मजदूरी का कानून महिलाओं के अधिकार को सुनिश्चित करता है,
- फिर भी सामाजिक और आर्थिक भेदभाव के कारण महिलाएं उच्च पदों और बेहतर तनख्वाह तक पहुँच नहीं पाती हैं,
- और लिंग आधारित प्राथमिकता के कारण बाल शिशु अनुपात में गिरावट आ रही है।
खण्ड घ अर्थशास्त्र
29. नीचे दी गई सारणी में भारत और उसके पडोसी देशों के संबंध में कुछ आंकडे दिए । गए हैं। सारणी को ध्यान से पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।
श्रीलंका 12707 75.5
भारत 6681 68.8
म्यांमार 4961 65.7
पाकिस्तान 5005 66.6
नेपाल 3457 70.6
बांग्लादेश 4976 72.8
स्रोत: मानव विकास रिपोर्ट 2020, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रमः न्यूयार्क जन्म के समय सर्वाधिक संभावित आयु (निग्नतग से उच्चतम) के विषय में कौन -सा क्रम सही है?
A. पाकिस्तान, म्यांमार, भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका
B. बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भारत, म्यांमार, पाकिस्तान
C. माकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भारत
D. पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल, भारत
सारणी से जन्म के समय संभावित आयु
| देश | संभावित आयु (वर्ष) |
|---|---|
| श्रीलंका | 75.5 |
| भारत | 68.8 |
| म्यांमार | 65.7 |
| पाकिस्तान | 66.6 |
| नेपाल | 70.6 |
| बांग्लादेश | 72.8 |
अधिकतम से न्यूनतम क्रम:
- श्रीलंका → 75.5
- बांग्लादेश → 72.8
- नेपाल → 70.6
- भारत → 68.8
- पाकिस्तान → 66.6
- म्यांमार → 65.7
✅ सही उत्तर:
B. बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भारत, म्यांमार, पाकिस्तान ❌
थोड़ा ध्यान दें, विकल्प B में बांग्लादेश को पहले और फिर श्रीलंका है, जबकि श्रीलंका की आयु बांग्लादेश से अधिक है (75.5 > 72.8)।
इसलिए सही क्रम (अधिकतम से न्यूनतम) होना चाहिए:
श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भारत, पाकिस्तान, म्यांमार
30. गलत मिलान की पहचान कीजिए।
A. प्राथमिक क्षेत्रक डेयरी
B. प्राथमिक क्षेत्रक बैंकिंग
C. प्राथमिक क्षेत्रक मत्स्यन
D. प्राथमिक क्षेत्रक कृषि
सही उत्तर है:
B. प्राथमिक क्षेत्रक बैंकिंग
व्याख्या:
-
प्राथमिक क्षेत्रक में प्राकृतिक संसाधनों से सीधे जुड़ी गतिविधियाँ आती हैं, जैसे:
-
कृषि
-
मत्स्यन (मछली पकड़ना)
-
डेयरी (पशुपालन से दूध उत्पादन)
-
-
बैंकिंग तृतीयक क्षेत्रक की सेवा गतिविधि है, इसलिए इसे प्राथमिक क्षेत्रक में नहीं रखा जा सकता।
सही मिलान:
-
A. प्राथमिक क्षेत्रक — डेयरी ✔️
-
B. गलत — बैंकिंग प्राथमिक क्षेत्रक नहीं है
-
C. प्राथमिक क्षेत्रक — मत्स्यन ✔️
-
D. प्राथमिक क्षेत्रक — कृषि ✔️
31 नीचे दो कथन दिए गए, अभिकथन (A) और कारण (R)। कथनों को पढ़िए और सही 1 विकल्प का चयन कीजिए।
अभिकथन (A): एक देश की अर्थव्यवस्था पर संकट का असर दूसरे देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।
कारण (R): वैश्वीकरण ने देशों की अर्थव्यवस्था को आपस में जोड दिया है।
विकल्प :
A. अभिकथन (A) एवं कारण (R) दोनों सही हैं एवं कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।
B. अभिकथन (A) एवं कारण (R) दोनों सही हैं परन्तु कारण, अभिकथन की सही व्याख्या नहीं है।
C. अभिकथन (A) सही है एवं कारण (R) गलत के
D. अभिकथन (A) गलत है परंतु कारण (R) सही है।
A. अभिकथन (A) एवं कारण (R) दोनों सही हैं एवं कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।
व्याख्या:
-
अभिकथन (A) सही है क्योंकि जब किसी देश की अर्थव्यवस्था संकट में होती है, तो वह वैश्विक बाजारों और व्यापार के कारण दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती है।
-
कारण (R) भी सही है क्योंकि वैश्वीकरण (Globalization) ने विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को आपस में इस तरह जोड़ दिया है कि एक देश की आर्थिक स्थिति सीधे दूसरे देशों पर प्रभाव डालती है।
-
इसलिए कारण, अभिकथन की सही व्याख्या करता है।
32. मानव विकास के विषय में निम्नलिखित कथनों को पढ़िए और सही विकल्प का चयन
कीजिए।
1. यह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा तैयार किया गया एक समग्र सूचकांक है।
2. इसके मापन के लिए लम्बी उम्र, साक्षरता और प्रति व्यक्ति आय गापदंड है।
3. विकसित और निम्न विकासशील देशों के अनुसार देशों की रैंकिंग की जाती है।
4. विश्व बैंक जीवन की गुणवत्ता के आधार पर मानव विकास की रिपोर्ट तैयार करता है।
विकल्प
A. केवल 1 और 2
B. केवल 2 और 3
C. केवल 1 और 3
D. केवल 2 और 4
✅ सही उत्तर: A. केवल 1 और 2
व्याख्या:
- यह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा तैयार किया गया एक समग्र सूचकांक है।
✔️ सही।
- मानव विकास सूचकांक (Human Development Index - HDI) UNDP (United Nations Development Programme) द्वारा तैयार किया जाता है।
- इसके मापन के लिए लंबी उम्र, साक्षरता और प्रति व्यक्ति आय मानदंड है।
✔️ सही।
- HDI का निर्माण Life Expectancy (आयु), Education (शिक्षा), और Per Capita Income (प्रति व्यक्ति आय) के आधार पर किया जाता है।
- विकसित और निम्न विकासशील देशों के अनुसार देशों की रैंकिंग की जाती है।
❌ यह पूरी तरह सही नहीं है।
- HDI केवल मानव विकास की तुलना के लिए देशों को रैंक करता है, लेकिन इसे सीधे "विकसित और विकासशील" में वर्गीकृत करने के लिए नहीं बनाया गया।
- विश्व बैंक जीवन की गुणवत्ता के आधार पर मानव विकास की रिपोर्ट तैयार करता है।
❌ गलत।
- HDI रिपोर्ट UNDP तैयार करता है, World Bank नहीं।
✅ निष्कर्ष:
मानव विकास सूचकांक UNDP द्वारा तैयार किया जाता है और इसके लिए आयु, शिक्षा और आय के मानदंड इस्तेमाल होते हैं।
इसलिए केवल कथन 1 और 2 सही हैं।
33. विषम की पहचान कीजिए-
A. पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
B. शिक्षक, डॉक्टर, सब्ज़ी विक्रेता, वकील
C. डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
D. एम.टी.एन.एल, भारतीय रेल, एयर इंडिया, जेट एयरवेज, ऑल इंडिया रेडियो।
A. पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
➡️ ये चारों सेवाएँ देने वाले व्यवसाय हैं — लेकिन
-
पर्यटन-निर्देशक (Tourist Guide) — सेवा क्षेत्र (Service Sector)
-
धोबी, दर्जी, कुम्हार — परंपरागत हस्तशिल्प या घरेलू व्यवसाय
👉 इसलिए यहाँ पर्यटन-निर्देशक थोड़ा अलग (विषम) है।
✅ विषम: पर्यटन-निर्देशक
B. शिक्षक, डॉक्टर, सब्ज़ी विक्रेता, वकील
➡️ शिक्षक, डॉक्टर और वकील — शिक्षित पेशेवर (Professional jobs) हैं।
➡️ सब्ज़ी विक्रेता — व्यापारिक कार्य करता है, पेशेवर वर्ग में नहीं आता।
✅ विषम: सब्ज़ी विक्रेता
C. डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
➡️ डाकिया, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल — सरकारी सेवा से जुड़े हैं।
➡️ मोची — स्वरोज़गार (Self-employed) व्यक्ति है।
✅ विषम: मोची
D. एम.टी.एन.एल, भारतीय रेल, एयर इंडिया, जेट एयरवेज, ऑल इंडिया रेडियो
➡️ एम.टी.एन.एल, भारतीय रेल, एयर इंडिया, ऑल इंडिया रेडियो — सरकारी उपक्रम (Public Sector Undertakings) हैं।
➡️ जेट एयरवेज — निजी कंपनी (Private Sector) है।
✅ विषम: जेट एयरवेज
34. मुद्रा का आधुनिक रूप है-
A. पशु धन
B. अनाज
C. सोने के सिक्के
D. कागज के करेंसी नोट
व्याख्या:
-
प्रारंभिक काल में वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter System) चलती थी — जिसमें लोग अनाज, पशु या अन्य वस्तुएँ बदलकर लेन-देन करते थे।
-
बाद में धातु के सिक्के (सोने, चांदी, तांबे के) प्रचलन में आए।
-
लेकिन आधुनिक समय में व्यापार और अर्थव्यवस्था के विकास के साथ कागज़ी मुद्रा (Currency Notes) और सिक्के मुख्य माध्यम बन गए।
-
आज अधिकांश लेन-देन कागज़ी मुद्रा या डिजिटल रूप (Online, UPI, कार्ड आदि) में होता है।
👉 इसलिए “कागज़ के करेंसी नोट” ही मुद्रा का आधुनिक रूप हैं।
35 'असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण होता है। क्या आप इस विचार से राहगत है? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस विचार से पूरी तरह सहमत हूँ कि असंगठित क्षेत्रक (Unorganised Sector) में श्रमिकों का शोषण होता है।
तर्क / कारण:
-
निश्चित वेतन और नौकरी की सुरक्षा का अभाव:
-
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मज़दूरों को न तो नियमित वेतन मिलता है और न ही उनकी नौकरी स्थायी होती है।
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मालिक जब चाहे उन्हें निकाल सकता है।
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कानूनी संरक्षण की कमी:
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इन श्रमिकों पर श्रम कानूनों (Labour Laws) का ठीक से पालन नहीं होता।
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उन्हें छुट्टी, मातृत्व अवकाश या पेंशन जैसी सुविधाएँ नहीं मिलतीं।
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कम वेतन और अधिक कार्य समय:
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असंगठित मजदूरों को अक्सर बहुत कम मजदूरी दी जाती है और उनसे लंबे समय तक काम कराया जाता है।
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सामाजिक सुरक्षा का अभाव:
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बीमारी, दुर्घटना या वृद्धावस्था में इन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती।
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शिक्षा और जागरूकता की कमी:
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इन श्रमिकों में अधिकतर अशिक्षित और गरीब होते हैं, इसलिए वे अपने अधिकारों के प्रति सजग नहीं रहते,
और नियोक्ता इसका फायदा उठाकर उनका शोषण करता है।
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निष्कर्ष:
असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की स्थिति असुरक्षित और शोषणपूर्ण होती है।
उनके हितों की रक्षा के लिए सरकार को न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ और श्रम कानूनों का सख़्त पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
36. 'एक के लिए जो विकास है वह दूसरे के लिए विकास न हो। यहाँ तक कि यह दूसरे के लिए विनाशकारी भी हो सकता है।" उचित उदाहरणों द्वारा कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
“एक के लिए जो विकास है, वह दूसरे के लिए विकास न हो — यहाँ तक कि वह दूसरे के लिए विनाशकारी भी हो सकता है।”
यह कथन बताता है कि विकास का अर्थ सबके लिए समान नहीं होता।
कभी-कभी किसी व्यक्ति, समुदाय या देश के विकास के कारण दूसरे को नुकसान उठाना पड़ता है।
उचित उदाहरण:
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बाँध (डैम) निर्माण का उदाहरण:
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सरकार जब बिजली उत्पादन या सिंचाई के लिए बड़े बाँध बनाती है, तो यह राष्ट्रीय विकास माना जाता है।
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लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट्स में हज़ारों लोग विस्थापित हो जाते हैं, उनके घर, ज़मीन और आजीविका खत्म हो जाती है।
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जैसे — नर्मदा बाँध परियोजना से कुछ क्षेत्रों में सिंचाई बढ़ी, लेकिन कई गाँव डूब क्षेत्र में आ गए।
👉 इसलिए जो एक क्षेत्र के लिए “विकास” था, वही दूसरे के लिए “विनाश” बन गया।
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औद्योगीकरण और पर्यावरण प्रदूषण:
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कारखाने लगाना, उत्पादन बढ़ाना — औद्योगिक विकास का प्रतीक है।
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लेकिन यही कारखाने वायु, जल और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं, जिससे आसपास के लोग बीमार पड़ते हैं और खेती नष्ट होती है।
👉 उद्योग मालिकों के लिए विकास, पर पर्यावरण और स्थानीय जनता के लिए नुकसान।
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शहरीकरण और ग्रामीण हाशियाकरण:
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शहरों में मॉल, सड़कें और बिल्डिंग बनना विकास का संकेत माना जाता है।
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पर इन निर्माणों के लिए किसानों की खेती की ज़मीन छीन ली जाती है, जिससे वे बेरोजगार हो जाते हैं।
👉 शहरों का विकास, लेकिन गाँवों का विनाश।
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खनन परियोजनाएँ (Mining Projects):
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खनन से देश को खनिज और राजस्व मिलता है।
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परंतु इसके कारण वनों की कटाई, जनजातीय विस्थापन और पर्यावरण क्षति होती है।
👉 उद्योगों का विकास, लेकिन आदिवासियों और प्रकृति के लिए विनाश।
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निष्कर्ष:
विकास तभी सच्चा और टिकाऊ (Sustainable) माना जाएगा,
जब वह सभी के हित में हो, किसी को नुकसान पहुँचाए बिना आगे बढ़े।
इसलिए हमें “समान, पर्यावरण-संवेदनशील और मानव-केंद्रित विकास” अपनाना चाहिए।
37. संगठित क्षेत्रक व असंगठित क्षेत्रक की तुलना कीजिए।
उत्तर: संगठित क्षेत्रक व असंगठित क्षेत्रक की तुलना
| क्रमांक | आधार | संगठित क्षेत्रक (Organised Sector) | असंगठित क्षेत्रक (Unorganised Sector) |
|---|---|---|---|
| 1 | परिभाषा | ऐसे क्षेत्र जहाँ नियम, कानून और सरकारी नियंत्रण लागू होते हैं। | ऐसे क्षेत्र जहाँ सरकारी नियम-कानूनों का पालन नहीं होता। |
| 2 | उदाहरण | सरकारी दफ़्तर, बैंक, विद्यालय, रेल विभाग, कारखाने आदि। | घरेलू मजदूर, रिक्शा चालक, किसान मजदूर, छोटे दुकानदार आदि। |
| 3 | नौकरी की सुरक्षा | नौकरी स्थायी होती है, निकालना आसान नहीं। | नौकरी अस्थायी होती है, कभी भी निकाल दिया जाता है। |
| 4 | वेतन और सुविधाएँ | नियमित वेतन, पेंशन, छुट्टी, बीमा, भविष्य निधि जैसी सुविधाएँ मिलती हैं। | अनियमित वेतन, कोई सामाजिक सुरक्षा या सुविधा नहीं। |
| 5 | कार्य समय | निर्धारित कार्य समय (जैसे 8 घंटे)। | कार्य समय तय नहीं, अक्सर बहुत लंबा। |
| 6 | कानूनी संरक्षण | श्रम कानूनों का पालन किया जाता है। | श्रमिकों को कानूनी संरक्षण नहीं मिलता। |
| 7 | नियंत्रण | सरकार या पंजीकृत संस्थाएँ नियंत्रित करती हैं। | निजी व्यक्ति या छोटे मालिक नियंत्रित करते हैं। |
अथवा
अर्थव्यवस्था के निजी क्षेत्रक एवं सार्वजनिक क्षेत्रक के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
निजी क्षेत्रक और सार्वजनिक क्षेत्रक के बीच अंतर
| आधार | निजी क्षेत्रक (Private Sector) | सार्वजनिक क्षेत्रक (Public Sector) |
|---|---|---|
| स्वामित्व | व्यक्तिगत या निजी कंपनियों का स्वामित्व होता है। | सरकार या राज्य का स्वामित्व होता है। |
| लक्ष्य | लाभ कमाना (मुनाफा प्रमुख उद्देश्य)। | समाज की सेवा और सार्वजनिक हित। |
| नियंत्रण | निजी मालिक, व्यापारी, उद्यमी नियंत्रित करते हैं। | सरकार और उसके विभाग नियंत्रित करते हैं। |
| पूंजी का स्रोत | निजी पूंजी (व्यक्तिगत निवेश, बैंक ऋण आदि)। | सरकारी बजट, टैक्स और सार्वजनिक निधियाँ। |
| कार्यकर्ता और प्रबंधन | कर्मचारी निजी कंपनियों द्वारा नियोजित। | कर्मचारी सरकारी नियमों के अनुसार। |
| निर्माण और उत्पादन | वस्तुएँ और सेवाएँ मुख्यतः मुनाफे के लिए। | समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए। |
| उदाहरण | रिलायंस, टाटा, अमेज़न, विप्रो। | भारतीय रेलवे, भारतीय डाक, बीएसएनएल। |
38. दिए गए अनुच्छेद को पढ़िए एवं प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र के अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों की एक तीसरी कोटि भी है जो तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं और उपयुक्त दो क्षेत्रों से भिन्न है। ये गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र के विकास में मदद करती हैं। ये गतिविधियाँ स्वयं वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि उत्पादन-प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं। जैसे प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए ट्रकों और ट्रेनों द्वारा परिवहन करने की ज़रूरत पड़ती है। कभी-कभी वस्तुओं को गोदामों में भंडारित करने की आवश्यकता होती है। हमें उत्पादन एवं व्यापार में सहजता के लिए टेलीफोन पर दूसरों से बातचीत करने या प्रचार (संवाद) या बैंकों से ऋण लेने की भी आवश्यकता होती है। परिवहन, भंडारण, संचार, बैंक सेवाएँ आदि वृत्तीयक गत्तिविधियों के कुछ उदाहरण है।
प्रश्न:
38.1: अर्थव्यवस्था का तृतीयक क्षेत्रक किसे कहते है?
तृतीयक क्षेत्रक उन आर्थिक गतिविधियों को कहते हैं जो वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि उत्पादन और व्यापार में सहायता और सेवा प्रदान करती हैं। ये क्षेत्र परिवहन, संचार, बैंकिंग, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि सेवाएँ प्रदान करता है।
38.2: तृतीयक क्षेत्रक का एक उदहारण दीजिए।
उत्तर:
परिवहन (जैसे ट्रक या रेलवे द्वारा माल ढुलाई) तृतीयक क्षेत्रक का एक उदाहरण है।
38.3: तृतीयक क्षेत्रक हाल के दिनों में क्यों महत्वपूर्ण होता जा रहा है?
तृतीयक क्षेत्रक हाल के दिनों में क्यों महत्वपूर्ण होता जा रहा है?
उत्तर:
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आधुनिक अर्थव्यवस्था में वस्तुओं का उत्पादन बढ़ने के साथ उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना और सेवाएँ प्रदान करना आवश्यक हो गया है।
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तकनीकी प्रगति के कारण संचार, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सेवाओं की मांग बढ़ी है।
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सेवा क्षेत्र रोजगार के नए अवसर पैदा करता है और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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डिजिटल और वैश्विक अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्रक की भूमिका और भी बढ़ गई है।