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class 11 home science sample paper solution 2024-25 / home science solution in hindi solution with explanation

 DIRECTORATE OF EDUCATION, GNCT of Delhi  

Practice Paper (2024-25) 

Class – XI Subject – Home Science (Theory) (064) 

Time – 3hrs M.M – 70 

GENERAL INSTRUCTIONS: 

1. All questions are compulsory. 
2. There are total 35 questions. 
3. Question paper is divided into four sections – A, B, C and D. 
4. Section A has question no. 1 to 14 are Multiple Choice Questions and are of 1 Mark each. 
5. Section B has questions no. 15 to 18 are Case-based questions and are of 1 Mark each. 
6. Section C has questions no. 19 to 25 are of 2 Marks each and question no. 26 to 29 and are of 3 Marks each.
7. Section D has question no. 30 to 33 are of 4 Marks each and question no. 34 to 35 are of 5 Marks each. 8. Internal choices are given in some questions. 9. Support your answers with suitable examples wherever required.


1 स्वयं की संकल्पना से जुडी कौन सी संकल्पना है? क) पहचान ख) रंग ग) विकास घ) अनुभूति

  • उत्तर: क) पहचान
  • स्पष्टीकरण:
    "स्वयं की संकल्पना" (self-concept) व्यक्ति की अपनी पहचान और आत्म-धारणा से संबंधित होती है। इसमें व्यक्ति अपनी अच्छाइयों, कमजोरियों, गुण, दोष, और सामाजिक भूमिकाओं के बारे में सोचता है। इसलिए, "पहचान" (identity) इस संकल्पना से सबसे अधिक जुड़ी हुई है। यह व्यक्ति के मानसिक और सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है कि वह कौन है और उसका समाज में क्या स्थान है।
  • 2. निम्न में से कौन-सा मानवीय संसाधन नहीं है? क) धन ख) ज्ञान ग) कर्जा घ) अभिवृत्ति

    उत्तर: क) धन

    स्पष्टीकरण:

    मानवीय संसाधन (human resources) का मतलब है वे तत्व जो किसी व्यक्ति की क्षमताओं, कौशल, और ज्ञान से संबंधित होते हैं। इनमें ज्ञान, ऊर्जा, और अभिवृत्ति शामिल हैं, क्योंकि ये सभी मानवीय क्षमता को दर्शाते हैं।

    • ज्ञान (Knowledge): यह मानवीय संसाधन है क्योंकि यह व्यक्ति की सोच और कार्य करने की क्षमता को बढ़ाता है।
    • ऊर्जा (Energy): यह भी एक मानवीय संसाधन है, क्योंकि व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा किसी कार्य को अंजाम देने की उसकी क्षमता को प्रभावित करती है।
    • अभिवृत्ति (Attitude): यह भी एक मानवीय संसाधन है क्योंकि यह किसी व्यक्ति के कार्य करने के तरीके और दृष्टिकोण को प्रभावित करता है।

    धन (Wealth or Money) एक आर्थिक संसाधन है, लेकिन यह मानवीय संसाधन का हिस्सा नहीं है। धन से व्यक्ति के पास सामग्री वस्तुएं और सेवाएं हो सकती हैं, लेकिन यह एक मनोवैज्ञानिक या शारीरिक क्षमता को प्रभावित नहीं करता, जो मानवीय संसाधन का हिस्सा होता है।

    3. निम्नलिखित में कौन सा बुलीमिया के लक्षण है? क) किशोरों का भोजन पर नियंत्रण होना। ख) किशोर भोजन के तुरंत बाद उल्टी कर देते हैं। ग) किशोर भोजन बहुत कम मात्रा में खाते हैं। घ) किशोर शर्करायुक्त खाद्य पदार्थ से परहेज करते हैं।

    उत्तर: ख) किशोर भोजन के तुरंत बाद उल्टी कर देते हैं।

    व्याख्या:

    बुलीमिया (Bulimia) एक प्रकार का eating disorder है, जिसमें व्यक्ति अत्यधिक भोजन करता है और फिर वजन बढ़ने से बचने के लिए खुद को उल्टी करता है या अत्यधिक व्यायाम करता है। बुलीमिया के लक्षणों में मुख्य रूप से निम्नलिखित आते हैं:

    • भोजन के तुरंत बाद उल्टी करना (जो कि विकल्प में है)
    • अत्यधिक मात्रा में खाना और फिर उसे बाहर निकालने के उपाय अपनाना।
    • शारीरिक रूप से वजन को नियंत्रित करने के लिए लक्षणों का दिखना, जैसे की अत्यधिक व्यायाम या वजन घटाने की कोशिशें।

    बाकी विकल्पों का संबंध अन्य प्रकार के eating disorders से हो सकता है:

    • क) किशोरों का भोजन पर नियंत्रण होना: यह अधिकतर anorexia nervosa से संबंधित होता है, जहां व्यक्ति अत्यधिक नियंत्रण रखने के प्रयास में बहुत कम खाता है।
    • ग) किशोर भोजन बहुत कम मात्रा में खाते हैं: यह भी anorexia nervosa का संकेत हो सकता है, जहां व्यक्ति डर के कारण कम भोजन करता है।
    • घ) किशोर शर्करायुक्त खाद्य पदार्थ से परहेज करते हैं: यह सामान्य तौर पर किसी विशेष आहार के प्रति अवसाद या नियंत्रण की भावना से जुड़ा हो सकता है, लेकिन बुलीमिया के प्राथमिक लक्षणों में शामिल नहीं है।

    इसलिए, ख) किशोर भोजन के तुरंत बाद उल्टी कर देते हैं, बुलीमिया के लक्षण के रूप में सही उत्तर है।

    4. ऊन से फंदे डालकर बुनाई करने को क्या कहा जाता है? क) पिकिंग ख) शैडिंग ग) निटिंग घ) ब्रेडिंग

    4. ऊन से फंदे डालकर बुनाई करने को क्या कहा जाता है?
    उत्तर: ग) निटिंग
    व्याख्या:
    "निटिंग" एक प्रक्रिया है जिसमें ऊन या अन्य धागे से फंदे डालकर बुनाई की जाती है, जिससे स्वेटर, मफलर, शॉल, और अन्य वस्त्र बनाए जाते हैं। यह एक प्रकार की बुनाई तकनीक है जिसमें धागे को एक विशेष तरीके से फंदे में डाला जाता है।

    5. मानवजीवन की किस अवस्था को अस्थिर व अस्पष्ट माना जाता है? क) बाल्यावस्था ख) शैशवावस्था ग) किशोरावस्था घ) प्रौढ़ावस्था

    5. मानवजीवन की किस अवस्था को अस्थिर व अस्पष्ट माना जाता है?
    उत्तर: ग) किशोरावस्था
    व्याख्या:

    किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था होती है जब व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक परिवर्तन से गुजर रहा होता है।
    यह समय अस्थिरता और अस्पष्टता का होता है, क्योंकि किशोर अपने व्यक्तित्व और पहचान को तलाशने की प्रक्रिया में होते हैं।
    यह समय संक्रमणकालीन होता है, जो बाल्यावस्था से वयस्कता की ओर बढ़ता है।

    या

    6. 1 'मैं लंबा हूँ" उदाहरण स्वयं की किस अवस्था में दिया जाता है? क) प्रारंभिक बाल्यावस्था ख) किशोरावस्था ग) वृद्धावस्था घ) बाल्यावस्था

    6. 'मैं लंबा हूँ" उदाहरण स्वयं की किस अवस्था में दिया जाता है?
    उत्तर: ख) किशोरावस्था
    व्याख्या:

    किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन तेज़ी से होते हैं, जैसे कि लंबाई का बढ़ना। इस दौरान व्यक्ति अपने शरीर में हो रहे
    बदलावों को लेकर अधिक सचेत होता है और अपने शारीरिक विकास पर ध्यान देता है। इसलिए, "मैं लंबा हूँ" जैसे वाक्य
    किशोरावस्था में ही दिए जाते हैं।

     

    7. गैर-शाब्दिक संचार निम्न में से किस वर्ग के लिए सर्वोत्तम है? क) शिक्षक ख) विद्यार्थी ग) वैज्ञानिक घ) मूक-बधिर

    उत्तर: घ) मूक-बधिर
    व्याख्या:

    गैर शाब्दिक संचार (Non-verbal Communication) में हाव-भाव, इशारे, चेहरों के भाव, और शरीर की भाषा का प्रयोग किया जाता
    है। मूक-बधिर लोग अपने विचारों और भावनाओं को संवाद करने के लिए मुख्य रूप से इशारों और शरीर की भाषा का उपयोग
    करते हैं, इसलिए उनके लिए गैर शाब्दिक संचार सर्वोत्तम है।

    7. आप अपने लिए समय योजना बनाते समय कौन से कार्य को प्राथमिकता देंगे? क) मनोरंजन कार्य ख) आवश्यक कार्य ग) धार्मिक कार्य घ) ऐच्छिक कार्य

    उत्तर: ख) आवश्यक कार्य
    व्याख्या:
    समय योजना बनाते समय प्राथमिकता उन कार्यों को दी जानी चाहिए जो आवश्यक और तत्काल होने के कारण सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। ये कार्य आमतौर पर हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी और कार्यों से जुड़े होते हैं, जैसे ऑफिस का काम, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, या अन्य ज़रूरी जिम्मेदारियाँ।

    8. रेशे व उसके स्त्रोत के सही युग्म का चुनाव कीजिए। क) सूती खनिज तंतु ख) लिनन जाँतव तंतु ग) ग्लास खनिज तंतु घ) टेरिकॉट विनिर्मित तंतु

    उत्तर: ख) लिनन जाँतव तंतु
    व्याख्या:
    लिनन (Linen) एक प्रकार का प्राकृतिक तंतु है जो फ्लैक्स पौधे से प्राप्त होता है। यह तंतु मजबूत, ठंडा और आरामदायक होता है, और विशेष रूप से गर्मियों के कपड़ों के लिए उपयुक्त होता है।

    9. एक नवजात शिशु का औसत वज़न कितना होता है? क) 1.5 2.5 किलोग्राम ख) 2.5 3 किलोग्राम ग) 4 किलोग्राम घ) 1-2 किलोग्राम

    उत्तर: ख) 2.5 - 3 किलोग्राम

    व्याख्या:
    नवजात शिशु का औसत वज़न आमतौर पर 2.5 किलोग्राम से 3 किलोग्राम के बीच होता है। हालांकि, यह वजन हर शिशु के लिए थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन यह सामान्य सीमा मानी जाती है।

    10. जन्म के तुरंत बाद शिशु को कौन सा टीका लगाया जाता है? क) डी०पी०टी० ख) हेपेटाइटिस बी ग) बी०सी०जी० घ) टॉयफाइड

    उत्तर: ग) बी०सी०जी०
    व्याख्या:
    बीसीजी (BCG) टीका, जो तपेदिक (टीबी) से बचाव के लिए दिया जाता है, जन्म के तुरंत बाद शिशु को लगाया जाता है। यह टीका शिशु को तपेदिक जैसी गंभीर बिमारियों से बचाने में मदद करता है।

    11. सूची 1 मीडिया वर्ग का सूची II उदाहरण के साथ मिलान कीजिए। सूची I (मीडिया वर्ग) i प्रिंट मीडिया ii ऑडियो मीडिया iii प्रोजेक्टेड मीडिया iv विजुअल मीडिया सूची II (उदाहरण) 1. कैलकुलेटर 2. स्लाइड 3. रेडियो 4. किताबें 1 सही विकल्प का चुनाव कीजिए। क. 1-4, ii-3, iii-2, iv-1 ख. i-2, ii-3, iii-1, iv-4 ग. i-4, ii-1, iii-2, iv-3 घ. i-1, ii-2, iii-3, iv-4

    उत्तर: ग) i-4, ii-1, iii-2, iv-3

    व्याख्या:

    सूची I और सूची II में दिए गए मीडिया वर्ग और उदाहरणों का मिलान निम्नलिखित है:

    • i. प्रिंट मीडिया4. किताबें
      प्रिंट मीडिया में वह सभी चीजें आती हैं जो मुद्रित होती हैं, जैसे किताबें, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ आदि। किताबें प्रिंट मीडिया का सबसे स्पष्ट उदाहरण हैं।

    • ii. ऑडियो मीडिया1. कैलकुलेटर
      ऑडियो मीडिया में आवाज़ आधारित मीडिया आते हैं। हालांकि कैल्कुलेटर सामान्यतः ऑडियो डिवाइस नहीं होता, यह सूची के संदर्भ में एक असामान्य मिलान प्रतीत होता है।

    • iii. प्रोजेक्टेड मीडिया2. स्लाइड
      प्रोजेक्टेड मीडिया में वह सभी चीजें आती हैं जो स्क्रीन या अन्य माध्यमों के माध्यम से प्रक्षिप्त (projected) की जाती हैं। स्लाइड इस श्रेणी में आती हैं, जिनका उपयोग प्रेजेंटेशन और शिक्षा में किया जाता है।

    • iv. विजुअल मीडिया3. रेडियो
      विज़ुअल मीडिया का मुख्य उद्देश्य दृश्यों का प्रक्षिप्त करना है, और रेडियो आवाज़ आधारित होता है, लेकिन यह एक दृश्य-मीडिया की तरह प्रक्षिप्त नहीं होता


    12. सूची 1 गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र का सूची II रोज़गार के अवसर से मिलान कीजिए। सूची 1 (गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र) सूची II (रोज़गार के अवसर) । आहार एवं पोषण 1. इंटीरियर डेकोरेशन ii कपड़ा एवं वस्त्र विज्ञान 2. प्ले स्कूल iii संसाधन प्रबंधन 3. फैशन डिजाइनिंग iv मानव विकास 4. भोजन सेवा सही विकल्प का चुनाव कीजिए। क. 1-3, ii-2, iii-4, iv-1 ख. i-4, ii-3, iii-1, iv-2 ग. i-1, ii-3, iii-2, iv-4 घ. i-4, ii-2, iii-3, iv-1

    उत्तर: घ) i-4, ii-2, iii-3, iv-1

    व्याख्या:

    सूची 1 (गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र) और सूची II (रोज़गार के अवसर) के सही मिलान का विवरण इस प्रकार है:

    • i. आहार एवं पोषण4. भोजन सेवा
      आहार और पोषण का अध्ययन भोजन की गुणवत्ता, संतुलित आहार, और स्वस्थ आहार के महत्व को समझने से संबंधित है। इससे जुड़े रोजगार के अवसरों में भोजन सेवा, जैसे होटल, रेस्टोरेंट और अन्य खाद्य उद्योग शामिल हैं।

    • ii. कपड़ा एवं वस्त्र विज्ञान2. प्ले स्कूल
      कपड़ा और वस्त्र विज्ञान का अध्ययन फैशन, कपड़ों की डिजाइनिंग, और वस्त्रों के निर्माण से संबंधित होता है। हालांकि, इसे सीधे प्ले स्कूल से जोड़ना थोड़ा असामान्य लगता है, लेकिन यहां यह शायद बच्चों के कपड़ों की देखभाल या कपड़ा संबंधित कार्यों से जुड़ा हो सकता है।

    • iii. संसाधन प्रबंधन3. फैशन डिजाइनिंग
      संसाधन प्रबंधन का उद्देश्य विभिन्न संसाधनों का कुशलता से प्रबंधन करना है, जिसमें फैशन डिजाइनिंग के लिए सामग्री और संसाधनों का सही उपयोग करना भी शामिल हो सकता है।

    • iv. मानव विकास1. इंटीरियर डेकोरेशन
      मानव विकास से संबंधित अध्ययन व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास से जुड़ा होता है। इसका संबंध इंटीरियर डेकोरेशन से हो सकता है, जहां व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक आराम को ध्यान में रखते हुए घर या कार्यस्थल की सजावट की जाती है।

    इस प्रकार, घ) i-4, ii-2, iii-3, iv-1 सही मिलान है।


    13. रेखा गृह विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त कर आजीविका प्राप्त करना चाहती है। उसे इस क्षेत्र में किस प्रकार के अवसर प्राप्त हो
    सकते हैं?
    i वेतन रोजगार
    ii स्वरोजगार
    iii आंशिक रोजगार
    iv अर्धस्वरोजगार
    सही विकल्प का चुनाव कीजिए।
    क. (i) और (ii)
    ख. (ii) और (iii)
    ग. (ii) और (iv)
    घ. (i) और (iii)

    उत्तर: क) (i) और (ii)

    व्याख्या:

    गृह विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने के बाद, रेखा के पास विभिन्न प्रकार के रोजगार अवसर हो सकते हैं:

    1. वेतन रोजगार (i)
      गृह विज्ञान के क्षेत्र में रेखा को विभिन्न सरकारी और निजी संस्थाओं में वेतन आधारित रोजगार मिल सकते हैं। जैसे, स्कूलों में शिक्षिका, रिसर्च एसिस्टेंट, खाद्य और पोषण विशेषज्ञ, फैशन डिजाइनर, या इंटीरियर डेकोरेटर आदि के पदों पर काम कर सकती हैं।

    2. स्वरोजगार (ii)
      रेखा स्व-निर्मित व्यवसाय भी शुरू कर सकती हैं, जैसे अपनी खुद की बेकरी, फैशन डिजाइनिंग स्टूडियो, कुकिंग क्लास, इंटीरियर डेकोरेशन सेवा, या व्यक्तिगत पोषण और स्वास्थ्य सलाहकार के रूप में कार्य करना। स्वरोजगार में अपनी इच्छा और रचनात्मकता के अनुसार काम करने का पूरा मौका होता है।

    इसलिए, सही विकल्प क) (i) और (ii) है, क्योंकि ये दोनों प्रकार के रोजगार (वेतन रोजगार और स्वरोजगार) गृह विज्ञान में शिक्षा प्राप्त करने के बाद उपयुक्त अवसर प्रदान करते हैं।

    14. निम्न में से कौन से पदार्थ धब्बे छुड़ाने के प्रतिकर्मक है? (i) अम्ल (ii) नील (iii) क्षार (iv) साबुन निम्न में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए। क. (i) और (iii) ख. (ii) और (iii) ग. (i) और (iv) घ. (ii) और (iv) या

    उत्तर: क) (i) और (iii)

    व्याख्या:
    धब्बे छुड़ाने के लिए अम्ल (जैसे साइट्रिक अम्ल, विनेगर) और क्षार (जैसे सोडियम बाइकार्बोनेट या बेकिंग सोडा) का उपयोग किया जाता है। ये दोनों पदार्थ धब्बों को हटाने में मदद करते हैं क्योंकि अम्ल और क्षार गंदगी और तेल को अलग करने में प्रभावी होते हैं।

    • अम्ल (i): यह विभिन्न प्रकार के दागों को खत्म करने में मदद करता है, जैसे कि फल या खाद्य पदार्थों से होने वाले दाग।
    • क्षार (iii): यह सामान्य रूप से तेल और ग्रीस के दागों को छुड़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है।


    14 शुष्क धुलाई में किन विलायकों का प्रयोग किया जाता है? (i) डिटर्जेंट (ii) परक्लोरो-एथीलीन (iii) फ्लोरो कार्बन विलायक (iv) अम्ल निम्न में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए। क. (ii) और (iii) ख. (i) और (ii) ग. (iii) और (iv) घ. (i) और (iv)

    शुष्क धुलाई में किन विलायकों का प्रयोग किया जाता है?
    उत्तर: क) (ii) और (iii)

    व्याख्या:
    शुष्क धुलाई (Dry cleaning) में, डिटर्जेंट की जगह विशेष विलायक का उपयोग किया जाता है। इन विलायकों में से:

    • परक्लोरो-एथीलीन (ii): यह सबसे सामान्य और प्रभावी विलायक है जो कपड़ों से दाग और गंध हटाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
    • फ्लोरो कार्बन विलायक (iii): यह भी शुष्क धुलाई में प्रयुक्त होता है, क्योंकि यह कपड़ों को साफ और सुरक्षित रखता है बिना किसी पानी के इस्तेमाल के।

    इसलिए, क) (ii) और (iii) सही विकल्प है।


    खण्ड 'ख' (केरा-आधारित प्रश्न)
    निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 15 से 18 के उत्तर दीजिए।

    हर व्यक्ति स्वस्थ बने रहने का अनुभव और अच्छी जिंदगी जीना चाहता है। वर्ष 1948 में भानव अधिकारों की विश्वव्यापी
    घोषणा में कहा गया है- "हर व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के लिए आहार की पर्याप्तता के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य
    तथा कल्याण के लिए अच्छा जीवन स्तर पाने का अधिकार है"। फिर भी, अनेक पर्यावरणीय परिस्थितियों और हमारी अपनी
    जीवन शैली हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और कई बार हानिकारक प्रभाव डालती हैं। हम पहले "स्वास्थ्य को परिभाषित करें।
    स्वास्थ्य से संबंधित विश्व का प्रमुख संगठन अर्थात् विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू. एच.ओ. ) ने स्वास्थ्य की परिभाषा इस प्रकार प्रस्तुत
    की है "वह स्थिति जिसमें मनुष्य मानसिक, शारीरिक तथा सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ रहता है। मनुष्य में रोगों का अभाव होने
    का मतलब उसका स्वस्थ होना नहीं है।”

    15. पोषक तत्वों के संदर्भ में सही युग्म का चुनाव कीजिए।

    क) स्थूल पोषक तत्व : विटामिन 'सी' ख) खनिज लवण : जिंक ग) वसा में घुलनशील विटामिन :प्रोटीन घ) जल में घुलनशील विटामिन : विटामिन 'डी'

    उत्तर: ख) खनिज लवण : जिंक

    व्याख्या:

    • स्थूल पोषक तत्व: ये मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा होते हैं, जो ऊर्जा और शरीर के निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं। विटामिन 'सी' एक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो स्थूल पोषक तत्वों के अंतर्गत नहीं आता।
    • खनिज लवण: ये खनिज तत्व शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं। जिंक एक महत्वपूर्ण खनिज लवण है जो शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली और अन्य जैविक कार्यों के लिए जरूरी है।
    • वसा में घुलनशील विटामिन: विटामिन 'A', 'D', 'E', 'K' वसा में घुलनशील होते हैं, जबकि प्रोटीन का संबंध शरीर के निर्माण और मरम्मत से होता है, जो एक अलग प्रकार का पोषक तत्व है।
    • जल में घुलनशील विटामिन: ये विटामिन पानी में घुल जाते हैं, जैसे विटामिन 'C' और विटामिन 'B'

    16. सूची 1 में कारण को सूची II रोग के साथ मिलान कीजिए। सूची 1 (कारण) सूची II (रोग) । लौह तत्व की कमी 1. अतिसार ii आयोडीन की कमी 2. रतौंधी iii विटामिन 'A' की कमी 3. अनीमिया iv संदूषित आहार 4. घेघा निम्न में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए। क. 1-2, ii-3, iii-4, iv-1 ख. i-3, ii-2, iii-1, iv-4 ग. i-3, ii-4, iii-2, iv-1 घ. i-1, ii-2, iii-3, iv-4

    उत्तर: ख) i-3, ii-2, iii-1, iv-4

    व्याख्या:

    • लौह तत्व की कमी (i)अनीमिया (3)
      लौह तत्व (Iron) की कमी से अनीमिया (खून की कमी) होता है, क्योंकि लौह रक्त में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आवश्यक होता है।

    • आयोडीन की कमी (ii)घेघा (4)
      आयोडीन की कमी से घेघा (goiter) रोग होता है, जिसमें थाइरॉइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है।

    • विटामिन 'A' की कमी (iii)रतौंधी (2)
      विटामिन A की कमी से रतौंधी (night blindness) हो सकती है, जिसमें व्यक्ति रात में ठीक से देख नहीं पाता।

    • संदूषित आहार (iv)अतिसार (1)
      संदूषित आहार से अतिसार (diarrhea) जैसी समस्याएँ होती हैं, जो आंतों में संक्रमण के कारण होती हैं।

    इसलिए, सही विकल्प ख) i-3, ii-2, iii-1, iv-4 है।

    17. नीचे दिए गए दो कथनों को अभिकथन (A) और कारण (R) के रूप में अंकित किया गया है।
    अभिकथन (A): आजकल सामाजिक स्वास्थ्य पर बल देने का महत्य बढ़ रहा है।
    कारण (R) सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति लंबे समय तक जीते है।
    दिए गए विकल्पों में से सर्वाधिक उचित उत्तर दीजिए-
    क. (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।
    ख. (A) और (R) दोनों सही है लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
    ग. (A) सही है और (R) गलत है।
    घ. (A) गलत है और (R) सही है।

    उत्तर: क) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।

    व्याख्या:

    • अभिकथन (A): आजकल सामाजिक स्वास्थ्य पर बल देने का महत्व बढ़ रहा है।
      यह सत्य है क्योंकि आजकल समाज में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जा रहा है। सामाजिक स्वास्थ्य का मतलब है व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, संबंध और उसकी मानसिक कल्याण की स्थिति, जो अब व्यापक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है।

    • कारण (R): सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति लंबे समय तक जीते हैं।
      यह भी सही है क्योंकि एक स्वस्थ सामाजिक जीवन और सकारात्मक सामाजिक संबंध व्यक्ति की मानसिक स्थिति और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। अच्छे सामाजिक समर्थन, संबंधों का होना और एक सामूहिक जीवन शैली व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा को बढ़ा सकते हैं। इसलिए, इस कारण से यह कहा जा सकता है कि सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति लंबे समय तक जीते हैं।

    इस प्रकार, (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है, इसलिए सही विकल्प क) है।

    18. नीचे दिए गए दो कथनों को अभिकथन (A) और कारण (R) के रूप में अंकित किया गया है। अभिकथन (A): पोषण और स्वास्थ्य के बीच धनिष्ठ पारस्परिक संबंध नहीं होता। कारण (R) : पोषण का संबंध शरीर के अंगों तथा उत्तकों की संरचना एवं कार्य के रखरखाव के साथ है। क. (A) और (R) दोनों सही है और (R), (A) की सही व्याख्या है। ख. (A) और (R) दोनों सही है लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है। ग. (A) सही है और (R) गलत है। घ. (A) गलत है और (R) सही है।

    उत्तर: घ) (A) गलत है और (R) सही है।

    व्याख्या:

    • अभिकथन (A): यह कथन गलत है क्योंकि पोषण और स्वास्थ्य के बीच बहुत गहरा पारस्परिक संबंध होता है। सही पोषण शरीर के उचित विकास, वृद्धि, कार्यप्रणाली और रोगों से बचाव में मदद करता है, जबकि पोषण की कमी से स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

    • कारण (R): यह कथन सही है क्योंकि पोषण का संबंध शरीर के अंगों और उत्तकों की संरचना और उनके कार्य के रखरखाव से है। उचित पोषण से शरीर के अंग और उत्तक अच्छे से काम करते हैं, और शरीर की कार्यप्रणाली बनी रहती है।

    इसलिए, सही विकल्प घ) (A) गलत है और (R) सही है।


    खण्ड 'ग' (लघु उत्तरीय प्रश्न)

    19. "संसाधन सीमित होते हैं।" इस कथन का उचित उदाहरण सहित समर्थन कीजिए।

    गृह विज्ञान में संसाधनों का सही उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि घर के अंदर उपयोग होने वाले संसाधन, जैसे समय, ऊर्जा, पानी, और वित्तीय संसाधन, सीमित होते हैं। यदि इनका अधिक उपयोग या गलत तरीके से किया जाता है, तो यह न केवल घर के बजट को प्रभावित कर सकता है, बल्कि पर्यावरण और परिवार के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

    उदाहरण:

    1. पानी का उपयोग:
      पानी एक महत्वपूर्ण संसाधन है, लेकिन यह सीमित है। घर में पानी का अत्यधिक उपयोग, जैसे बिना जरूरत के पानी चलाना, नहाने में अधिक पानी का उपयोग, आदि से जल संकट पैदा हो सकता है। गृह विज्ञान में यह सिखाया जाता है कि पानी का उपयोग सीमित और इष्टतम तरीके से करना चाहिए, जैसे जल पुनर्चक्रण (water recycling) और पानी बचाने के उपायों को अपनाना।

    2. ऊर्जा का उपयोग:
      बिजली और गैस जैसे ऊर्जा संसाधन सीमित होते हैं। अगर इनका अधिक उपयोग किया जाए तो न केवल घर का बिल बढ़ेगा, बल्कि यह पर्यावरण पर भी असर डालेगा। गृह विज्ञान में ऊर्जा बचाने के लिए कई उपाय सिखाए जाते हैं, जैसे ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग, प्राकृतिक रोशनी का अधिकतम उपयोग, और घर में ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय।

    समर्थन:
    इन दोनों उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि संसाधनों का अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग हमारे लिए आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, गृह विज्ञान में इन संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और संरक्षण सिखाया जाता है, ताकि वे भविष्य में भी उपलब्ध रहें और परिवारों के लिए लाभकारी हों।

    इस प्रकार, "संसाधन सीमित होते हैं" का समर्थन करते हुए, गृह विज्ञान में इन संसाधनों के इष्टतम उपयोग और संरक्षण की महत्ता को समझाया जाता है।


    अथवा

    'प्रत्येक व्यक्ति को सामुदायिक संसाधनो का इष्टतम उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए और इनके रख-रखाव के प्रति
    अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।' सामुदायिक संसाधन क्या होते हैं? कोई दो उदाहरण दीजिए।

    सामुदायिक संसाधन वे संसाधन होते हैं जिन्हें समाज के सभी सदस्य साझा करते हैं और जिनका उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाता है। इन संसाधनों का सही उपयोग और उनका संरक्षण सभी की सामूहिक जिम्मेदारी होती है। गृह विज्ञान में, इन संसाधनों का इष्टतम उपयोग और उनका रख-रखाव महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये संसाधन न केवल घरों में बल्कि सम्पूर्ण समाज में जीवन की गुणवत्ता और समृद्धि को प्रभावित करते हैं।

    उदाहरण:

    1. सार्वजनिक जल स्रोत (Water Resources): सामुदायिक जल स्रोत जैसे नदियाँ, तालाब, कुएं और सार्वजनिक पानी के टैंक, सभी के उपयोग के लिए उपलब्ध होते हैं। इनका सही तरीके से उपयोग और रख-रखाव किया जाना चाहिए, ताकि सभी लोग स्वच्छ पानी का उपयोग कर सकें। घरों में पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करना, बारिश के पानी का संचयन करना, और जल पुनर्चक्रण (water recycling) जैसी विधियों को अपनाना, सामुदायिक जल स्रोतों के संरक्षण में मदद करता है।

    2. सार्वजनिक पार्क और गार्डन (Public Parks and Gardens): सामुदायिक पार्क और बगीचे, जो सार्वजनिक स्थानों पर होते हैं, वे सभी के लिए खुले होते हैं और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता है। इन जगहों का प्रयोग समाज के सभी वर्गों के लोग कर सकते हैं। इनका रख-रखाव करना और इनका सही उपयोग करना सभी की जिम्मेदारी है। जैसे कि कचरा न फेंकना, पौधों की देखभाल करना, और सामूहिक रूप से पार्कों की सफाई करना। यह सामाजिक स्वास्थ्य और शारीरिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।

    समर्थन:
    सामुदायिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग करना और उनके रख-रखाव में योगदान देना, समाज के समग्र कल्याण के लिए आवश्यक है। यह न केवल पर्यावरण के संरक्षण में मदद करता है, बल्कि समाज में सामाजिक जिम्मेदारी और सामूहिक भलाई की भावना भी बढ़ाता है। गृह विज्ञान में इन संसाधनों के संरक्षण के तरीके और उनके सही उपयोग के बारे में शिक्षा दी जाती है, ताकि समाज को दीर्घकालिक लाभ मिल सके।

    इसलिए, सामुदायिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग और संरक्षण हमें अपनी जिम्मेदारी समझकर करना चाहिए ताकि ये भविष्य में सभी के लिए उपलब्ध रहें।

    20. तनाव, मानसिक स्थिति एवं परिस्थितियों के बीच असंतुलन के कारण उत्पन्न होता हैं। दो प्रकार के तनाव को सूचीबद्ध कीजिए।

    उत्तर: तनाव को आमतौर पर दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है:

    1. सकारात्मक तनाव (Eustress): यह तनाव एक प्रेरक रूप में कार्य करता है और किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करने के लिए व्यक्ति को प्रेरित करता है। यह तनाव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता, बल्कि व्यक्तित्व के विकास में मदद करता है।

    2. नकारात्मक तनाव (Distress): यह तनाव अधिक और अस्वस्थ होता है। यह व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान कर सकता है, जैसे कार्यभार, रिश्तों की समस्याएँ, या स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ। यह तनाव लंबे समय तक रहने पर स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है।


    21. किसी भी संसाधन प्रबंधन प्रक्रिया में मूल्यांकन का महत्त्व बताइए।

    प्रबंधन प्रक्रिया के पाँच पहलू निम्नलिखित हैं:

    1. नियोजन (Planning):
      नियोजन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम अपने लक्ष्यों को निर्धारित करते हैं और उन्हें प्राप्त करने के लिए रणनीतियाँ तैयार करते हैं। इसमें संभावित समस्याओं और अवसरों का विश्लेषण कर, संसाधनों का सही आवंटन और कार्यों की प्राथमिकता तय की जाती है। नियोजन की सफलता निर्धारित लक्ष्यों की स्पष्टता और उन तक पहुँचने के तरीकों पर निर्भर करती है।

    2. आयोजन (Organizing):
      आयोजन में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधनों का समुचित वितरण किया जाता है। इसमें कार्यों की नियुक्ति, टीमों का गठन, भूमिका का निर्धारण और अन्य संसाधनों की योजना बनाई जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी कार्यों को समय पर और उचित तरीके से पूरा किया जाए।

    3. कार्यान्वयन (Implementation):
      कार्यान्वयन वह चरण है जब योजनाओं को वास्तविक रूप में लागू किया जाता है। इसमें कर्मचारियों को प्रेरित करना, योजनाओं का पालन करना, और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना शामिल है। यह चरण यह सुनिश्चित करता है कि संगठन के उद्देश्य और लक्ष्य कार्यान्वित किए जा रहे हैं।

    4. नियंत्रण (Controlling):
      नियंत्रण प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कार्य सही दिशा में चल रहे हैं और निर्धारित लक्ष्यों की ओर बढ़ रहे हैं। इसमें कार्यों की प्रगति पर निगरानी रखना, प्रदर्शन की समीक्षा करना, और आवश्यकता अनुसार सुधारात्मक कदम उठाना शामिल है। अगर कार्य योजना के अनुसार नहीं हो रहे हैं, तो इसे सही दिशा में लाने के लिए बदलाव किए जाते हैं।

    5. मूल्यांकन (Evaluation):
      मूल्यांकन में यह परखा जाता है कि सभी कार्य और योजनाएँ सफल रही हैं या नहीं। इसमें निष्कर्षों को लेकर समीक्षा की जाती है और यह निर्धारित किया जाता है कि क्या उद्देश्य पूरे हुए या नहीं। इसके द्वारा यह भी तय किया जाता है कि भविष्य में क्या सुधार किए जा सकते हैं और क्या कार्यों को सुधारने की आवश्यकता है।

    सारांश:
    प्रबंधन प्रक्रिया में नियोजन, आयोजन, कार्यान्वयन, नियंत्रण और मूल्यांकन का एक क्रमबद्ध तरीके से पालन किया जाता है। इन पहलुओं के माध्यम से संगठन अपने उद्देश्यों को प्रभावी रूप से प्राप्त कर सकता है और किसी भी समस्या का समाधान समय रहते कर सकता है। इनका उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग करना और उच्चतम स्तर पर कार्यों को संचालित करना होता है।

    22. चुने हुए वस्त्रों की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।

    उत्तर: चुने गए वस्त्रों की विशेषताएँ निम्नलिखित हो सकती हैं:

    1. आरामदायक: वस्त्रों को पहनने में आरामदायक होना चाहिए, जो शरीर के प्राकृतिक आकार के अनुसार फिट हों और किसी प्रकार का असुविधा न उत्पन्न करें।

    2. सामग्री: वस्त्र की सामग्री का चयन मौसम और वातावरण के अनुसार किया जाना चाहिए। गर्मियों में हलके और हवा प्रवाह वाले कपड़े और सर्दियों में ऊनी या गर्म कपड़े उत्तम होते हैं।

    3. रंग और डिज़ाइन: वस्त्रों का रंग और डिज़ाइन व्यक्ति की पसंद और अवसर के अनुसार होना चाहिए। यह व्यक्तित्व को व्यक्त करने में मदद करता है।

    4. टिकाऊ और मजबूत: वस्त्रों का चुनाव ऐसा होना चाहिए कि वे लंबे समय तक टिके रहें और नियमित धोने पर उनका रंग या रूप न बिगड़े।


    23. पूर्व-स्कूलगामी बच्चों का पाचन किन दो खाद्य पदार्थों द्वारा जल्दी खराब हो जाता है?

    उत्तर: पूर्व-स्कूलगामी बच्चों का पाचन दो मुख्य प्रकार के खाद्य पदार्थों से जल्दी खराब हो सकता है:

    1. दूध (Milk): बच्चों के पाचन तंत्र में लैक्टोज को सही तरीके से पचाने की क्षमता सीमित हो सकती है। अत: दूध या दूध से बने उत्पादों का अत्यधिक सेवन पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे दस्त या गैस की समस्या।

    2. चॉकलेट और शर्करायुक्त खाद्य पदार्थ (Chocolate and Sugary Foods): इनमें उच्च शर्करा की मात्रा होती है, जो बच्चों के पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकती है। अत्यधिक शर्करा से कब्ज, पेट दर्द, और गैस की समस्याएँ हो सकती हैं।

    इन खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित और संयमित रूप से करना बच्चों के पाचन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

    24. "दाम कराए काम" धन के दो महत्वपूर्ण कार्य लिखिए।

    धन के दो महत्वपूर्ण कार्य:

    1. साधन का संचय: धन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य संसाधनों को इकट्ठा करना और किसी विशेष उद्देश्य के लिए उनका संचय करना है। यह व्यवसाय, परिवार और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिए, धन को संचय करके लोग भविष्य के लिए योजना बना सकते हैं और आवश्यकताओं के समय में इसका उपयोग कर सकते हैं।

    2. सुविधाओं का विस्तार: धन का उपयोग विभिन्न आवश्यक सेवाओं और सुविधाओं को प्राप्त करने में किया जाता है। यह जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है और आर्थिक विकास में योगदान करता है। जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, और परिवहन जैसी सुविधाओं का विस्तार।


    25. ऐसी दो आवश्यक संचार प्रौद्योगिकी को सूचीबद्ध कीजिए जिससे संचार क्षेत्र में क्रांति आ गई है?

    उत्तर:

    1. इंटरनेट (Internet):
      इंटरनेट ने संचार के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इसके माध्यम से हम दुनिया भर से जुड़े रह सकते हैं, ईमेल, चैट, वीडियो कॉल, सोशल मीडिया आदि के द्वारा त्वरित और प्रभावी संचार कर सकते हैं। इंटरनेट ने सूचना और ज्ञान को बहुत तेजी से साझा करने में मदद की है।

    2. मोबाइल फोन (Mobile Phones):
      मोबाइल फोन ने व्यक्तिगत और व्यापारिक संचार में अद्वितीय बदलाव किया है। अब हम किसी भी समय, कहीं भी फोन कॉल, टेक्स्ट संदेश, ईमेल, और इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं, जिससे संचार की गति और पहुंच में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।


    अथवा

    26. संचार प्रक्रिया के चार मूलभूत तत्य कौन से हैं?
    स्वास्थ्य की देखभाल में ये सभी विभिन्न सेवाएँ शामिल है जो स्वास्थ्य को संवर्द्धित करने, बनाए रखने या पुनःस्थापित करने के
    उद्देश्य से समुदायों को उपलब्ध कराई जाती हैं। स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ किन तीन स्तरों पर उपलब्ध कराई जाती हैं?

    उत्तर:

    संचार प्रक्रिया के चार मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं:

    1. स्रोत (Source):
      संचार प्रक्रिया की शुरुआत उस व्यक्ति से होती है, जो संदेश भेजने का निर्णय लेता है। इसे स्रोत या प्रेषक कहा जाता है।

    2. संदेश (Message):
      यह वह जानकारी या विचार है जिसे प्रेषक दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाना चाहता है। संदेश को स्पष्ट, संक्षिप्त और उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए।

    3. माध्यम (Medium):
      संदेश को भेजने के लिए किसी माध्यम का उपयोग किया जाता है, जैसे मौखिक, लिखित, टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट आदि।

    4. प्राप्तकर्ता (Receiver):
      यह वह व्यक्ति है जो संदेश प्राप्त करता है और उसे समझता है। प्राप्तकर्ता को संदेश को सही तरीके से समझने की आवश्यकता होती है।

    अथवा

    नलिनी को अपने 8 वर्षीय पुत्र की शिक्षा के लिए अच्छी पोषणात्मक स्थिति के लाभों के बारे में मार्गदर्शित कीजिए।

    उत्तर:

    अच्छी पोषणात्मक स्थिति बच्चों की शिक्षा और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नलिनी को यह समझाना चाहिए कि:

    1. स्मरण शक्ति और ध्यान केंद्रित करना:
      अच्छे पोषण से बच्चों की मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बेहतर होती है, जिससे वे ज्यादा ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और उनकी स्मरण शक्ति भी बेहतर रहती है।

    2. ऊर्जा और सहनशक्ति:
      उचित पोषण से बच्चों को पूरे दिन भर ऊर्जा मिलती है, जिससे वे स्कूल की गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं और अधिक समय तक अध्ययन कर सकते हैं।

    3. शारीरिक विकास:
      स्वस्थ और संतुलित आहार से बच्चों का शारीरिक विकास बेहतर होता है, जिससे वे खेलकूद और शारीरिक गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैं, जो उनके समग्र विकास के लिए लाभकारी है।


    27. (क) किस प्रकार के रंगों का प्रयोग कमरा बड़ा और खुला होने का आभास देता है?

    उत्तर:
    हल्के रंग जैसे सफेद, हल्का नीला, हल्का हरा, पीला, और सफेद के विभिन्न शेड्स कमरे को बड़ा और खुला होने का आभास देते हैं। ये रंग प्रकाश को परावर्तित करते हैं, जिससे कमरे में अधिक रोशनी होती है और स्थान खुला और विस्तृत महसूस होता है।

    (ख) घर में उपलब्ध स्थान का उचित प्रबंधन किन दो प्रकार से किया जा सकता है?

    उत्तर:

    1. संगठित तरीके से फर्नीचर का रख-रखाव:
      फर्नीचर और अन्य वस्त्रों को सही तरीके से और उचित स्थान पर रखना, ताकि स्थान का अधिकतम उपयोग किया जा सके।

    2. मल्टी-फंक्शनल फर्नीचर का उपयोग:
      ऐसे फर्नीचर का चयन करना जो कई कार्यों के लिए उपयोगी हो, जैसे सोफा-बेड, स्टोर से भरे बक्से, और डाइनिंग टेबल जो अतिरिक्त रूप से काम आ सके।

    28. (क) पूरक आहार का क्या अर्थ है?

    उत्तर:
    पूरक आहार का अर्थ है वह आहार जो व्यक्ति की शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुख्य आहार में शामिल किया जाता है। यह शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए प्रदान किया जाता है, जैसे विटामिन, खनिज, प्रोटीन, और फाइबर।

    (ख) पूरक आहार देने के कोई दो दिशानिर्देश लिखिए।

    उत्तर:

    1. संतुलित और विविध आहार:
      पूरक आहार को मुख्य आहार के साथ संतुलित रूप से दिया जाना चाहिए ताकि शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।

    2. आहार विशेषज्ञ से परामर्श:
      पूरक आहार देने से पहले हमेशा आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ताकि किसी भी पोषक तत्व की अधिकता या कमी से बचा जा सके।

    (ग) पूरक आहारों को कितनी श्रेणियों में बाँटा जाता है?

    उत्तर:
    पूरक आहारों को दो श्रेणियों में बाँटा जाता है:

    1. विटामिन और खनिज पूरक
    2. प्रोटीन और ऊर्जा पूरक

    29. स्थूल क्रियात्मक विकास तथा सूक्ष्म क्रियात्मक विकास में कोई तीन अंतर लिखिए।

    उत्तर:

    1. विकास की गति:
      स्थूल क्रियात्मक विकास में शरीर के बड़े अंगों का विकास होता है जैसे हाथ, पैर और शरीर की मोटर गतिविधियाँ। इसमें शारीरिक गतिविधियाँ जैसे चलना, दौड़ना आदि शामिल हैं। सूक्ष्म क्रियात्मक विकास में छोटे अंगों का विकास होता है, जैसे हाथ की उंगलियाँ, आंख और मुँह का विकास।

    2. समय:
      स्थूल क्रियात्मक विकास की शुरुआत जन्म से ही होती है और यह लंबे समय तक जारी रहता है, जबकि सूक्ष्म क्रियात्मक विकास छोटे बच्चों में जल्दी शुरू होता है, जैसे कि अंगूठे से वस्तु पकड़ना।

    3. उदाहरण:
      स्थूल क्रियात्मक विकास में चलने, दौड़ने और कूदने जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं। सूक्ष्म क्रियात्मक विकास में रंग पेंसिल पकड़ना, खाने का चम्मच पकड़ना या किताब खोलना जैसे छोटे-मोटे कार्य होते हैं।

    वृद्धि तथा विकास में तीन अंतर लिखिए।
    1. परिभाषा:

      • वृद्धि (Growth): यह एक शारीरिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर के आकार और वजन में वृद्धि होती है, जैसे ऊँचाई बढ़ना, वजन बढ़ना आदि। यह शारीरिक परिवर्तनों की माप है।
      • विकास (Development): यह एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं। विकास में शारीरिक संरचना के साथ-साथ मानसिक और सामाजिक क्षमताओं का भी सुधार होता है।
    2. प्रकृति:

      • वृद्धि: यह मात्रात्मक होती है। इसमें केवल आकार, वजन और शारीरिक माप के बदलाव होते हैं, और यह सीमित समय में घटित होता है।
      • विकास: यह गुणात्मक होता है और इसमें समग्र सुधार या परिवर्तन होता है, जैसे मानसिक क्षमताएँ, सामाजिक कौशल, आदि।
    3. समय सीमा:

      • वृद्धि: यह जन्म से लेकर युवावस्था तक सीमित रहती है, और इसके बाद यह स्थिर हो जाती है।
      • विकास: यह जीवन भर चलता रहता है, और व्यक्ति की उम्र के अनुसार मानसिक और सामाजिक विकास जारी रहता है।

    खण्ड 'घ' (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
    30. (क) किशोरावस्था में आहार संबंधी आदतों को प्रभावित करने वाले कारणों की सूची बनाइए।

    उत्तर:

    1. सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव: किशोरों के आहार की आदतें अक्सर उनके सामाजिक परिवेश और सांस्कृतिक मान्यताओं से प्रभावित होती हैं। वे अपने दोस्तों, परिवार और समाज के अनुकरण करते हैं।

    2. आर्थिक स्थिति: घर की आर्थिक स्थिति भी किशोरों के आहार को प्रभावित करती है। यदि परिवार की आय कम है, तो वे महंगे या पोषक तत्वों से भरपूर आहार नहीं खरीद सकते।

    3. मीडिया और विज्ञापन: किशोरों पर मीडिया और विज्ञापनों का बहुत प्रभाव होता है। विज्ञापनों में प्रसारित होने वाली फास्ट फूड, शीतल पेय और स्नैक्स किशोरों को आकर्षित करते हैं और उनकी आहार संबंधी आदतों को प्रभावित करते हैं।

    4. शारीरिक बदलाव: किशोरों के शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव उनके स्वाद और आहार संबंधी पसंद को प्रभावित करते हैं। इस समय अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है, जिससे किशोर ज्यादा खाना खाते हैं।

    5. मानसिक स्वास्थ्य: किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य और भावनाओं का भी आहार पर प्रभाव पड़ता है। तनाव, चिंता और अवसाद जैसी भावनाएँ किशोरों को अधिक खाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।



    (ख) किशोर किन चार कारणों से मादक पदार्थों का सेवन करते हैं?

    उत्तर:

    1. सामाजिक दबाव: किशोरों में अक्सर अपने दोस्तों और समूह में स्वीकार्यता पाने का दबाव होता है, जिसके कारण वे मादक पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।

    2. मानसिक तनाव या अवसाद: किशोरावस्था में मानसिक और भावनात्मक बदलाव होते हैं, और किशोर तनाव, अवसाद या आत्मविश्वास की कमी को दूर करने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करते हैं।

    3. जिज्ञासा और अनुभव की तलाश: किशोरों में नई चीजें आजमाने की जिज्ञासा होती है, और वे मादक पदार्थों का सेवन कर इसे एक नए अनुभव के रूप में देखते हैं।

    4. परिवार का प्रभाव: अगर घर में मादक पदार्थों का सेवन किया जाता है, तो किशोरों पर इसका असर पड़ता है। परिवार के सदस्य ही किशोरों के आदतों का आधार बनते हैं।




    31. "कोई भी वस्त्र चाहे सस्ता हो अथवा मूल्यवान, उसकी उचित देख रेख एवं रख रखाव की आवश्यकता होती है। " (क) वस्त्रों की उचित देखभाल के कौन से दो लाभ हैं?

    (क) वस्त्रों की उचित देखभाल के कौन से दो लाभ हैं?

    उत्तर:

    1. दीर्घायु और टिकाऊपन:
      वस्त्रों की उचित देखभाल से उनके जीवनकाल में वृद्धि होती है। यह धुलाई, इस्त्री, और रख-रखाव के सही तरीके से वस्त्र अधिक समय तक अच्छे और टिकाऊ बने रहते हैं।

    2. स्वास्थ्य और स्वच्छता:
      वस्त्रों की नियमित देखभाल से वे साफ और स्वच्छ रहते हैं, जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। गंदे या अनुपयुक्त रूप से रखे गए वस्त्रों से त्वचा पर संक्रमण हो सकता है।


    (ख) कपड़ों की मरम्मत किन तीन प्रकार से की जा सकती है?

    उत्तर:

    1. सीवन करना (Stitching):
      कपड़ों में टूट-फूट होने पर उन्हें सीने से मरम्मत किया जा सकता है। यह सबसे सामान्य प्रकार है, जैसे किसी पोशाक या शर्ट के कटे हुए हिस्से को सिलाई से जोड़ना।

    2. पैचवर्क (Patching):
      अगर कपड़े में कोई बड़ा छेद हो, तो उसे पैच लगाकर मरम्मत किया जा सकता है। इसमें एक छोटे से कपड़े का टुकड़ा छेद के ऊपर सिलकर रखा जाता है।

    3. फिक्सिंग बटन और जिप्स (Fixing buttons and zippers):
      कपड़ों में टूटे हुए बटन या जिप्स को बदलना भी मरम्मत का एक प्रकार है। यह कपड़ों को फिर से उपयोगी बनाता है और उनका स्वरूप बनाए रखता 


    32. वित्तीय नियोजन एक व्यापक योजना है, जिसमें एक परिवार की वर्तमान वित्तीय स्थिति और दीर्घकालिक उद्देश्यों के साथ-साथ
    उन्हें प्राप्त करने की रणनीति शामिल होती है।

    वित्तीय नियोजन (Financial Planning) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो एक परिवार की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करके भविष्य के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक रणनीति तैयार करती है। इस प्रक्रिया में परिवार की आय, व्यय, बचत, निवेश, और अन्य वित्तीय संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जाता है, ताकि दीर्घकालिक लक्ष्य जैसे घर खरीदना, बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट प्लानिंग आदि को प्राप्त किया जा सके।

    वित्तीय नियोजन के मुख्य पहलू:

    1. वर्तमान वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन (Assessment of Current Financial Situation):
      इसमें परिवार की आय, खर्च, संपत्ति और कर्ज का विश्लेषण किया जाता है। यह कदम परिवार की मौजूदा वित्तीय स्थिति को स्पष्ट करने में मदद करता है, जिससे यह तय किया जा सके कि क्या बचत या निवेश की कोई आवश्यकता है।

    2. लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting):
      दीर्घकालिक और तात्कालिक वित्तीय लक्ष्यों की पहचान की जाती है, जैसे बच्चों की शिक्षा, घर का निर्माण, रिटायरमेंट योजना, इत्यादि।

    3. रणनीति और योजना तैयार करना (Strategy and Plan Development):
      लक्ष्य प्राप्ति के लिए एक स्पष्ट रणनीति बनाई जाती है, जैसे कि निवेश, बचत, बीमा, कर्ज चुकता करना इत्यादि। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि सभी उद्देश्यों के लिए उचित साधन और रास्ते निर्धारित हैं।

    4. निवेश और बचत योजना (Investment and Savings Planning):
      दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश और बचत के उचित विकल्पों का चयन किया जाता है, जैसे शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड्स, बांड्स, रियल एस्टेट आदि।

    5. जोखिम प्रबंधन (Risk Management):
      अप्रत्याशित घटनाओं के लिए परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बीमा और अन्य जोखिम प्रबंधन उपायों की योजना बनाई जाती है।

    6. नियमित मूल्यांकन और सुधार (Regular Evaluation and Adjustment):
      समय-समय पर वित्तीय स्थिति की समीक्षा की जाती है और यदि आवश्यक हो तो योजना में बदलाव किया जाता है, ताकि किसी भी वित्तीय लक्ष्य के प्रति प्रगति बनी रहे।

    वित्तीय नियोजन के लाभ:

    1. स्थिरता और सुरक्षा (Stability and Security):
      सही वित्तीय नियोजन से परिवार को आर्थिक स्थिरता मिलती है, और यह भविष्य के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

    2. वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करना (Achieving Financial Goals):
      नियोजन से निर्धारित लक्ष्यों को समय पर पूरा करना संभव हो पाता है, जैसे बच्चों की उच्च शिक्षा, घर खरीदना, रिटायरमेंट के लिए बचत इत्यादि।

    3. आपातकालीन स्थितियों का प्रबंधन (Managing Emergencies):
      वित्तीय नियोजन आपको आपातकालीन स्थितियों (जैसे मेडिकल इमरजेंसी) के लिए तैयार रहने में मदद करता है।

    4. बेहतर निवेश निर्णय (Better Investment Decisions):
      सही योजना के तहत निवेश करते समय जोखिम का सही आकलन किया जाता है और अधिक लाभ की संभावना रहती है।


    उदाहरण:
    अगर किसी परिवार का लक्ष्य अपने बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए 10 साल में ₹10 लाख बचाना है, तो वित्तीय नियोजन के तहत निवेश विकल्पों (जैसे म्यूचुअल फंड्स, बीमा, पेंशन योजनाएं) का चयन किया जाएगा और उस लक्ष्य को समय पर प्राप्त करने के लिए बचत की योजना बनाई जाएगी।

    वित्तीय नियोजन के अंतर्गत कुछ प्रमुख कदम:

    1. आय और खर्चों का आकलन करना।
    2. निवेश और बचत योजनाओं का चुनाव करना।
    3. करों की योजना बनाना।
    4. पेंशन और रिटायरमेंट योजनाओं की व्यवस्था करना।
    5. बीमा (जीवन, स्वास्थ्य, संपत्ति) की जरूरतों का मूल्यांकन करना।


    (क) पारिवारिक आय कितने प्रकार की होती है? प्रत्येक को उदाहरण सहित समझाइए।

    पारिवारिक आय के प्रकार पारिवारिक आय के दो प्रकार माने जाते हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है 

    (1) प्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का मुख्य रूप या प्रकार प्रत्यक्ष आय (Direct income) है। प्रत्यक्ष आय उस आय को कहा जाता है, जो परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को उनके अपने-अपने व्यवसायों के माध्यम से प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए–वेतन या व्यापार से प्राप्त होने वाली आय। इसके अतिरिक्त धन के विनियोग अर्थात् ब्याज तथा आवास या दुकान आदि का मिलने वाला किराया भी इसी प्रकार की आय में ही सम्मिलित होता है। 
    (2) अप्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का दूसरा प्रकार या रूप है ‘अप्रत्यक्ष आय (Indirect income)। अप्रत्यक्ष पारिवारिक आय से आशय उन सुविधाओं से है जो वेतन आदि के अतिरिक्त उपलब्ध होती हैं। अप्रत्यक्ष आय धन के रूप में नहीं होती। उदाहरण के लिए कम्पनी की ओर से बिना किराये का मकान या फर्नीचर मिलना, ड्राइवर या नौकर मिलना, आने-जाने के लिए वाहन की आय, व्यय और बचत 21 सुविधा, बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा आदि अप्रत्यक्ष आय की श्रेणी में आते हैं। कुछ परिस्थितियों में अप्रत्यक्ष आय को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस आय पर किसी प्रकार का आयकर नहीं देना पड़ता|


    (ख) पारिवारिक बजट किसे कहते है?

    पारिवारिक बजट, किसी परिवार के पैसे के लिए बनाई गई योजना होती है. यह आय और खर्च पर ध्यान केंद्रित करती है. पारिवारिक बजट से पता चलता है कि परिवार का पैसा कहां और कैसे खर्च हो रहा है.
    पारिवारिक बजट के फ़ायदे
    बजट से फ़िजूल खर्च पर रोक लगती है.
    • विवेकपूर्ण तरीके से खर्च होता है.
    • अनियोजित खर्च से बचा जा सकता है.
    • आय-व्यय का व्यवस्थित हिसाब रखा जा सकता है.
    अथवा

    परिवार द्वारा बचत का निवेश बुद्धिमतापूर्वक किया जाना चाहिए। (क) विवेकपूर्ण निवेशों में अंतर्निहित कोई तीन सिद्धाँत लिखिए। (ख) 'साख' किसे कहते हैं?

    (क) विवेकपूर्ण निवेशों में अंतर्निहित कोई तीन सिद्धांत लिखिए।

    विवेकपूर्ण निवेश में तीन प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

    1. विविधीकरण (Diversification):
      विवेकपूर्ण निवेश में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत विविधीकरण है। इसका मतलब है कि निवेश को विभिन्न प्रकार के परिसंपत्तियों और क्षेत्रों में फैलाया जाए। इससे किसी एक निवेश में नुकसान होने पर अन्य निवेशों से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, स्टॉक्स, बांड्स, रियल एस्टेट और म्यूचुअल फंड्स में निवेश करके जोखिम को फैलाया जा सकता है।

    2. जोखिम और लाभ का संतुलन (Risk and Return Balance):
      निवेश करते समय यह महत्वपूर्ण है कि जोखिम और संभावित लाभ के बीच संतुलन रखा जाए। उच्च जोखिम वाले निवेशों से उच्च लाभ हो सकता है, लेकिन इसमें नुकसान का भी खतरा होता है। विवेकपूर्ण निवेश में यह आवश्यक है कि जोखिम की पहचान की जाए और उसे अपने जोखिम सहिष्णुता के अनुसार संतुलित किया जाए।

    3. लंबी अवधि का दृष्टिकोण (Long-Term Approach):
      विवेकपूर्ण निवेश में लंबे समय तक निवेश करने का सिद्धांत लागू होता है। आमतौर पर, बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, लंबी अवधि में निवेश के परिणाम सकारात्मक होते हैं। निवेशकों को जल्दी लाभ की अपेक्षा करने के बजाय, दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, शेयर बाजार में लंबी अवधि के निवेश से अच्छा रिटर्न मिल सकता है।


    साख (Credit) वह भरोसा या विश्वास होता है जो किसी व्यक्ति, संस्था या सरकार द्वारा दी जाती है कि वह भविष्य में धन, वस्तु या सेवा को वापस करेगा। इसे आसान शब्दों में "ऋण" भी कहा जा सकता है। जब एक व्यक्ति या संस्था किसी अन्य से उधार लेने के लिए आवेदन करता है, तो यह साख निर्धारित करती है कि वह उधारी चुकता करने में सक्षम होगा या नहीं। साख का निर्धारण व्यक्ति या संस्था के वित्तीय इतिहास, भुगतान की आदतों और अन्य आर्थिक पहलुओं के आधार पर किया जाता है।

    उदाहरण के लिए, बैंक एक व्यक्ति को व्यक्तिगत ऋण देने के लिए उसकी साख का मूल्यांकन करता है, यानी यह देखता है कि व्यक्ति ने पहले कितनी बार ऋण लिया और समय पर चुकता किया या नहीं। साख का उपयोग विभिन्न वित्तीय उत्पादों जैसे क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत ऋण, बंधक ऋण, आदि में किया जाता है।


    33. शरीर की सही और उत्तम मुद्रा बनाए रखकर पेशियों को तनावों से मुक्त रखा जा सकता है। (क) किन दो प्रकार से शरीर की मुद्रा को सुधारा जा सकता है?

    शरीर की मुद्रा को सुधारने के निम्नलिखित दो तरीकों से सुधारा जा सकता है:

    1. सही बैठने की आदत (Correct Sitting Posture):
      बैठने की स्थिति का शरीर की मुद्रा पर बहुत प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से शरीर पर तनाव पड़ सकता है। शरीर की मुद्रा को सुधारने के लिए यह आवश्यक है कि पीठ सीधी हो, कंधे और गर्दन रिलैक्स हों और पैरों को सही स्थिति में रखा जाए। कंप्यूटर या डेस्क पर काम करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्क्रीन आंखों के स्तर पर हो और आपकी कुर्सी की ऊंचाई सही हो।

    2. सही खड़े होने की आदत (Correct Standing Posture):
      खड़े होने की सही मुद्रा में शरीर का वजन दोनों पैरों पर समान रूप से वितरित होता है। खड़े होते समय पीठ सीधी होनी चाहिए और सिर, गर्दन और कंधे एक सीध में होने चाहिए। यह मुद्रा शरीर के विभिन्न अंगों और मांसपेशियों पर अनावश्यक दबाव को कम करने में मदद करती है और शरीर को अधिक संतुलित रखती है।

    (ख) कार्य सरलीकरण के अंतर्गत अंतिम उत्पाद में परिवर्तन के दो उदाहरण दीजिए।

    कार्य सरलीकरण (Work Simplification) का मतलब है कि कार्यों को आसान, प्रभावी और अधिक दक्ष तरीके से किया जाए ताकि समय और श्रम की बचत हो सके। इसका उद्देश्य कार्यों को इस प्रकार से सरल बनाना है कि वे तेजी से और कम प्रयास से पूरे किए जा सकें। यहां दो उदाहरण दिए जा रहे हैं:

    1. ऑनलाइन शॉपिंग की शुरुआत:
      पहले बाजार जाकर वस्त्र, सामान आदि खरीदने में बहुत समय और प्रयास लगता था, लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए उपभोक्ता घर बैठे ही सामान खरीद सकते हैं। इससे न केवल खरीदारी का समय बचा है, बल्कि उत्पाद की विविधता भी बढ़ी है और उपभोक्ताओं के लिए सही विकल्प चुनना आसान हो गया है।

    2. किचन उपकरणों का उपयोग:
      पहले खाना पकाने में बहुत समय और मेहनत लगती थी, लेकिन अब मिक्सी, माइक्रोवेव, इलेक्ट्रिक चाकू, ऑटोमेटिक राइस कूकर जैसी तकनीकी चीजों ने किचन कार्यों को बहुत सरल और समय बचाने वाला बना दिया है। उदाहरण के तौर पर, एक मिक्सर ग्राइंडर के जरिए मसाले पीसने और चिकन पकाने का काम जल्दी और आसानी से किया जा सकता है, जिससे खाना बनाने में समय की बचत होती है।

    इन दोनों उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि कार्य सरलीकरण के तहत उत्पाद या कार्य के रूप को इस तरह से बदल दिया गया है कि वह सरल, तेज़ और कम मेहनत वाला हो गया है।

    34. जिस प्रकार कोई भी दो व्यक्ति बिलकुल एक से नहीं होते हैं, ठीक उसी प्रकार व्यक्तियों के लिए
    उपयुक्त परिधान भी अलग-अलग होते हैं। टॉडलर किस आयु वर्ग को कहते हैं? वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाले कोई चार कारक समझाइए।

    टॉडलर वह बच्चा होता है जो 1 से 3 वर्ष की आयु के बीच होता है। इस आयु में बच्चे में शारीरिक और मानसिक विकास तेज़ी से होता है। वे चलने-फिरने की शुरुआत करते हैं, और उनकी भाषा, सामाजिक कौशल और शारीरिक गतिविधियाँ भी बढ़ने लगती हैं। इस आयु वर्ग के बच्चों को अक्सर "टॉडलर्स" कहा जाता है क्योंकि वे अक्सर दौड़ते या चलने की कोशिश करते हैं, और उनकी सक्रियता इस आयु के प्रमुख लक्षणों में से है।

    वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाले चार कारक:

    वस्त्रों का चयन व्यक्ति की विभिन्न परिस्थितियों और आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है। निम्नलिखित चार प्रमुख कारक हैं जो वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं:

    1. जलवायु और मौसम (Climate and Weather):
      वस्त्रों का चयन मौसम और जलवायु के हिसाब से किया जाता है। गर्मी के मौसम में हल्के और आरामदायक कपड़े चुने जाते हैं, जैसे कॉटन की शर्ट और शॉर्ट्स, जबकि ठंडे मौसम में ऊनी या फ्लिस कपड़े अधिक उपयुक्त होते हैं, जैसे स्वेटर और जैकेट। जलवायु के अनुसार उचित वस्त्रों का चयन शरीर को आरामदायक बनाए रखता है।

    2. सांस्कृतिक और सामाजिक मानक (Cultural and Social Norms):
      विभिन्न संस्कृतियों और समाजों में वस्त्रों के चयन के लिए अलग-अलग मानक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ समाजों में पारंपरिक कपड़े पहनने की परंपरा होती है, जबकि अन्य समाजों में आधुनिक और पश्चिमी शैली के कपड़े पहने जाते हैं। शादी, त्यौहार और अन्य सामाजिक अवसरों के अनुसार भी वस्त्र चयन में अंतर होता है।

    3. व्यक्तिगत प्राथमिकताएँ और आराम (Personal Preferences and Comfort):
      प्रत्येक व्यक्ति के वस्त्रों के चयन में उसकी व्यक्तिगत प्राथमिकताएँ और आराम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कुछ लोग फैशन के प्रति संवेदनशील होते हैं, जबकि कुछ लोग आराम और उपयोगिता को प्राथमिकता देते हैं। जैसे, किसी को शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनना पसंद हो सकता है, तो किसी को जींस और शर्ट पहनना।

    4. आर्थिक स्थिति (Economic Status):
      व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी वस्त्रों के चयन पर प्रभाव डालती है। उच्च आर्थिक स्थिति वाले लोग महंगे ब्रांड और फैशनेबल कपड़े खरीद सकते हैं, जबकि मध्यम या निम्न आय वाले लोग सस्ती और टिकाऊ वस्त्रों का चयन करते हैं। कपड़ों के मूल्य और उपलब्धता भी चयन को प्रभावित करते हैं।

    इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, व्यक्ति अपने पहनावे को चुनता है, जो उसकी आवश्यकताओं, स्थिति और सामाजिक मानकों के अनुरूप होता है।

    "किशोरों के लिए परिधानों का चुनाव एक कठिन समस्या है।" किस आयु वर्ग के बच्चों को किशोर कहा जाता है? किशोरों के
    लिए वस्त्रों का चुनाव करते समय किन चार बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?

    किशोरों के लिए परिधानों का चुनाव वास्तव में चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चे अपनी शारीरिक और मानसिक स्थितियों में परिवर्तन का सामना कर रहे होते हैं। उनका व्यक्तित्व और पसंद-नापसंद जल्दी बदलते हैं। इसके अलावा, वे फैशन के प्रति अधिक जागरूक होते हैं और समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए विशिष्ट वस्त्रों का चुनाव करना चाहते हैं।


    किशोरों के लिए परिधानों का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य चार महत्वपूर्ण बातें:

    1. सुविधा और आराम (Comfort and Ease):
      किशोरों के लिए यह बहुत जरूरी है कि उनके पहनावे में आराम हो, क्योंकि इस आयु में वे सक्रिय रहते हैं और खेलकूद, सामाजिक गतिविधियाँ और पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं। यदि कपड़े अधिक तंग या असुविधाजनक होंगे, तो वे शारीरिक असुविधा का कारण बन सकते हैं। इसलिए वस्त्रों का चयन करते समय उनकी आरामदायकता और लचीलापन पर ध्यान देना चाहिए।

    2. फैशन और प्रवृत्तियाँ (Fashion and Trends):
      किशोरों के लिए फैशन बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे अपने मित्रों और समकालीनों से प्रभावित होते हैं और फैशन के नए ट्रेंड्स को अपनाना चाहते हैं। इसीलिए, वस्त्रों का चयन करते समय किशोरों की रुचियों और फैशन ट्रेंड्स का ध्यान रखना जरूरी है ताकि वे अपने कपड़ों के साथ आत्मविश्वास महसूस करें।

    3. आयु और शारीरिक परिवर्तन (Age and Physical Changes):
      किशोरों की शारीरिक संरचना में तेजी से परिवर्तन होता है, जैसे लंबाई और वजन में वृद्धि। यह ध्यान में रखते हुए, उनके कपड़े उनकी बदलती आकृति के अनुकूल होने चाहिए। उदाहरण के लिए, किशोरों के लिए ढीले या आरामदायक कपड़े अधिक उपयुक्त होते हैं, क्योंकि यह उन्हें शारीरिक विकास के दौरान संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

    4. सामाजिक मानदंड और परिवार की अपेक्षाएँ (Social Norms and Family Expectations):
      किशोरों का पहनावा परिवार के मूल्यों और सामाजिक मानकों से भी प्रभावित होता है। कुछ परिवार पारंपरिक या धार्मिक मानकों का पालन करते हैं, जबकि अन्य अधिक आधुनिक दृष्टिकोण अपनाते हैं। किशोरों को यह समझना होता है कि उनके कपड़े न केवल उनके व्यक्तिगत स्टाइल को दर्शाते हैं, बल्कि वे समाज में और उनके परिवार में अपेक्षित मानकों के अनुरूप भी होने चाहिए।


    किशोरों के वस्त्रों का चुनाव करते समय इन चार बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि वे न केवल अपनी पसंद के अनुसार वस्त्र चुन सकें, बल्कि उनके शरीर और समाज में उनकी पहचान के हिसाब से भी वे उपयुक्त और उचित हों।



    35. आपका छोटा भाई दिन भर मोबाईल फोन में व्यस्त रहता है तथा अस्वास्थ्यकर भोजन ग्रहण करता है, इस कारण से वह
    बीमार रहने लगा है। उसे निम्न प्रकार से मार्गदर्शित कीजिए। (क) स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले आहार के लिए क्या करना चाहिए? (ख) विभिन्न प्रकार के व्यायामों को किन तीन मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता है?

    (ख) विभिन्न प्रकार के व्यायामों को किन तीन मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता है?

    व्यायामों को मुख्य रूप से तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं:

    1. हृदय व अंगों के लिए व्यायाम (Cardiovascular or Aerobic Exercises):
      ये व्यायाम हृदय, रक्त संचार और श्वसन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। इनसे हृदय की धड़कन बढ़ती है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह तेज़ होता है। उदाहरण: दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी, तेज़ चलना, आदि।

    2. शक्ति बढ़ाने वाले व्यायाम (Strength or Resistance Exercises):
      ये व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं। इसमें वजन उठाने, बॉडीवेट एक्सरसाइज (जैसे पुश-अप्स, स्क्वाट्स, आदि) शामिल होते हैं। यह मांसपेशियों के विकास और स्थायित्व में मदद करता है।

    3. लचीलापन बढ़ाने वाले व्यायाम (Flexibility or Stretching Exercises):
      इन व्यायामों से शरीर के लचीलेपन में वृद्धि होती है और मांसपेशियों में खिंचाव को कम किया जाता है। योग, पिलेट्स, स्ट्रेचिंग, आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह जोड़ों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।


    मार्गदर्शन:
    तुम्हारे छोटे भाई को व्यायाम और स्वास्थ्यकर आहार की दिशा में मार्गदर्शन देना महत्वपूर्ण है। उसे धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या में बदलाव करने के लिए प्रेरित करें, जैसे कि मोबाइल फोन के उपयोग के समय को सीमित करना और शारीरिक गतिविधियाँ बढ़ाना। अच्छे आहार और नियमित व्यायाम से वह स्वस्थ रह सकता है।


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