Harappa Civilization Decline (हड़प्पा सभ्यता का पतन)
Question:-
हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में ब्यौरा दें ?
OR
Answer:-
सभ्यता का अंत :—
ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिनके अनुसार लगभग 1800 ईसा पूर्व तक चोलिस्तान जैसे क्षेत्रों में अधिकांश विकसित हड़प्पा स्थलों को त्याग दिया गया था । इसके साथ ही गुजरात , हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नयी बस्तियों में आबादी बढ़ने लगी थी ऐसा लगता है कि उत्तर हड़प्पा के क्षेत्र 1900 ईसा पूर्व के बाद भी अस्तित्व में रहे । कुछ चुने हुए हड़प्पा स्थलों की भौतिक संस्कृति में बदलाव आया था जैसे सभ्यता की विशिष्ट पुरावस्तुओं - बाटों , मुहरों तथा विशिष्ट मनकों का समाप्त हो जाना लेखन , लंबी दूरी का व्यापार तथा शिल्प विशेषज्ञता भी समाप्त हो गई ।
सामान्यतः थोड़ी वस्तुओं के निर्माण के लिए थोड़ा ही माल प्रयोग में लाया जाता था । आवास निर्माण की तकनीकों का ह्रास हुआ तथा बड़ी सार्वजनिक संरचनाओं का निर्माण अब बंद हो गया । कुल मिलाकर पुरावस्तुएँ तथा बस्तियाँ इन संस्कृतियों में एक ग्रामीण जीवनशैली की ओर संकेत करती हैं । इन संस्कृतियों को " उत्तर हड़प्पा अथवा " अनुवर्ती संस्कृतियाँ " कहा गया । ये परिवर्तन कैसे हुए ? इस विषय में कई व्याख्याएँ दी गई हैं । इनमें जलवायु परिवर्तन , वनों की कटाई , अत्यधिक बाढ़ , नदियों का सूख जाना और / या मार्ग बदल लेना तथा भूमि का अत्यधिक उपयोग सम्मिलित हैं । इनमें से कुछ ' कारण ' कुछ बस्तियों के संदर्भ में तो सही हो सकते हैं परंतु पूरी सभ्यता के पतन की व्याख्या नहीं करते । ऐसा लगता है कि एक सुदृढ़ एकीकरण के तत्व , संभवतः हड़प्पाई राज्य , का अंत हो गया था ।
मुहरों , लिपि , विशिष्ट मनकों तथा मृदभाण्डों के लोप , मानकीकृत बाट प्रणाली के स्थान पर स्थानीय बाटों के प्रयोग ; शहरों के पतन तथा परित्याग जैसे परिवर्तनों से इस तर्क को बल मिलता है । उपमहाद्वीप को एक पूरी तरह से अलग क्षेत्र में नए शहरों के विकास के लिए एक सहस्राब्दि से भी अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ी ।
हड़प्पा सभ्यता का पतन :–
हड़प्पा की सभ्यता 1900 ई.पू. तक फलती - फूलती रही । इस सभ्यता के बाद की अवधि को नगरी सभ्यता के बाद के चरण ( उत्तरवर्ती हड़प्पावासी काल ) के रूप में जाना जाता है । इस काल की विशेषता को इस प्रकार रेखांकित किया गया कि इसमें नगर - योजन लेखन कला , माप - तोलों में एकरूपता , मिट्टी के बर्तनों में समानता इत्यादि जैसे मुख्य लक्षण धीरे - धीरे लुप्त होने लगे थे । यह अधोपतन 1900 ई.पू. 1400 ई.पू. के मध्य देखने में आया । आबादी क्षेत्र भी सिकुड़ने लगे थे ।
The decline of the Harappans,Harappa Civilization Decline ,हड़प्पा सभ्यता का पतन,हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में ब्यौरा दें !उदाहरणत : उत्तर काल की अवधि के दौरान हड़प्पा , जो मूल रूप से 85 हैक्टेयर के क्षेत्र में फैला था । इस काल में सिर्फ तीन हैक्टेयर की आबादी में सिकुड़ कर रह गया था । ऐसा लगता है कि यहां की आबादी किन्हीं दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गई थी । इसका संकेत मिलता है उत्तर हड़प्पा काल में गुजरात , पूर्वी पंजाब , हरियाणा और अपर - दोआब क्षेत्रों के बाहरी क्षेत्रों में पाई गई नई बस्तिों की अनेक स्थापनाएं ।
आपको हैरानी होगी कि हड़प्पा सभ्यता का अंत कैसे हुआ । इस संबंध में विद्वानों के अनेक मत हैं ।
1. कुछ विद्वानों का सुझाव है कि बाढ़ और भूकंप जैसी प्राक तिक आपदाओं ने इस सभ्यता को खत्म किया होगा । ऐसा विश्वास किया जाता है कि भूकंप के परिणामस्वरूप सिंधु नदी के निचले मैदानी बाढ़ वाले क्षेत्रों का स्तर ऊंचा उठ गया होगा । इससे समुद्र की तरफ जाने को नदी के तल मार्ग में रुकावट आ गई होगी जिससे मोहनजोदड़ो नगर डूब गया होगा । परन्तु इससे केवल मोहनजोदड़ो के खत्म होने का उल्लेख मिलता है न कि पूरी सभ्यता का ।
The decline of the Harappans,Harappa Civilization Decline ,हड़प्पा सभ्यता का पतन,हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में ब्यौरा दें !2. कुछ विद्वानों के मतानुसार घग्गर - हाकरा नदी के मार्ग में परिवर्तन आने के कारण शुष्क बंजर धरती बढ़ती गई होगी जिसकी वजह से पतन हुआ । इस सिद्धांत के अनुसार 2000 ई.पू. के आसपास बंजरता की परिस्थिति बढ़ती गईं , इससे क षि उत्पादन पर प्रभाव पड़ा होगा जिससे इसका लोप हुआ ।
3. पतन के कारणों में आर्यों के आक्रमण के सिद्धांत का भी उल्लेख किया गया है , लेकिन आंकड़ों के आलोचनात्मक व गंभीर विश्लेषण के आधार पर अब इस मत को पूरी तरह नकार दिया गया है । इस प्रकार कोई भी एक अकेला ऐसा कारण नहीं है , जिससे संपूर्ण सभ्यता के विनाश का पता लग सके ज्यादा से ज्यादा इनसे सिर्फ कुछ शिष्ट स्थलों या क्षेत्रों के नष्ट होने के संबंध में ही पता चल सकता है । अतः प्रत्येक सिद्धांत की आलोचना हुई । फिर भी पुरातात्विक साक्ष्यों से संकेत मिलता है कि हड़प्पा सभ्यता का पतन अचानक नहीं हुआ , बल्कि धीरे - धीरे हुआ और अंत में ये सभ्यता अन्य सभ्यताओं में घुलती मिलती चली गई !